कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का एक पत्र सोमवार (6 नवंबर) को सामने आया है। सोनिया ने यह पत्र उस वक्त के वित्तमंत्री पी चिदंबरम को लिखा था। खबरों के मुताबिक, वह पत्र तहलका मैगजीन के खिलाफ चल रही जांच को बंद करवाने के लिए लिखा गया था। 

बता दें कि मई 2004 में चुनावी नतीजे आने के बाद कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन सोनिया ने तब प्रधानमंत्री का पद ठुकराकर मनमोहन सिंह को पीएम बनाया था। लेकिन माना जाता रहा है कि पीएम ना रहते हुए भी सारी पॉवर सोनिया के ही पास थी।
क्या है दावा: तहलका मैगजीन ने भाजपा के कुछ मंत्रियों पर एक स्टिंग किया था जिसमें वे कथित तौर पर आर्म्स डीलर्स से घूस लेते दिख रहे थे। इस स्टिंग को करने के लिए वाजपायी सरकार के वक्त से तहलका के एडिटर तरुण तेजपाल के खिलाफ फुकन कमीशन जांच कर रहा था।
जांच को बंद करवाने के लिए तेजपाल ने मनमोहन सिंह को जून 2004 में पत्र लिखा था। तेजपाल ने लिखा था कि सरकारी एजंसियां उनको प्रताड़ित कर रही हैं, लेकिन गुजारिश करने के चार महीने बाद तक कोई जवाब ही नहीं आया। इसके बाद तेजपाल ने 20 सितंबर 2004 को सोनिया गांधी को पत्र लिखकर यही सब बताया।
इसके बाद पांच दिन के अंदर ही सोनिया ने अपने कांग्रेस नेशनल एडवाइजरी काउंसिल के चेयरपर्सन वाले लेटरहेड पर पी चिंदबरम को पत्र लिखकर इस मामले को ‘प्राथमिकता’ पर देखने को कहा। सोनिया के पत्र को प्राथमिकता पर देखते हुए चार दिन के अंदर-अंदर फुकन कमीशन को भंग कर दिया गया था।
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