रूस ने दुनिया का पहला तैरता परमाणु ऊर्जा संयंत्र तैयार कर लिया है. साथ ही इसे शनिवार को दुनिया के सामने पेश किया. रूस ने इसको मुरमंस्क शहर के एक बंदरगाह से समुद्र में उतारा. बता दें कि ये रूसी जहाज एक परमाणु रिएक्टर है. जो अगले एक साल तक समुंद्र के अंदर सफर पर रहेगा. यह जहाज अपने सफर के दौरान सबसे पहले यह पूर्वी रूस के शहर पेवेक जाएगा. इसको पूर्वी साइबेरिया ले जाने से पहले बंदरगाह पर सयंत्र में परमाणु ईंधन भरा जाएगा. जानकारी के मुताबिक इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र को 'अकाडेमिक लोमोनोसोव' नाम दिया गया है. इसका मकसद पूर्वी और उत्तरी साइबेरिया के दूरदराज के इलाकों में बिजली आपूर्ति करना और ऑयल रिफाइनिंग करना है. इसका निर्माण सरकारी परमाणु ऊर्जा कंपनी रोस्तम ने सेंट्स पीटरसबर्ग में बनाया है. यह परमाणु सयंत्र दो लाख की आबादी की बिजली की जरूरतों को पूरा कर सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि आर्कटिक महासागर में तैरते हुए परमाणु रिएक्टर यहां के मौसम और हवाओं को देखते हुए खतरनाक हो सकते हैं.इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र की लंबाई 144 मीटर, चौड़ाई 30 मीटर और वजन 21,000 टन है. इसमें 35 मेगावाट के दो न्यूक्लियर रिएक्टर हैं, जो रिएक्टर बर्फ के पहाड़ों को काटने वाले आइसब्रेकर शिप के रिएक्टर जैसे हैं.

पहला तैरता परमाणु ऊर्जा संयंत्र रूस ने बनाया

रूस ने दुनिया का पहला तैरता परमाणु ऊर्जा संयंत्र तैयार कर लिया है. साथ ही इसे शनिवार को दुनिया के सामने पेश किया. रूस ने इसको मुरमंस्क शहर के एक बंदरगाह से समुद्र में उतारा. बता दें कि ये रूसी जहाज एक परमाणु रिएक्टर है. जो अगले एक साल तक समुंद्र के अंदर सफर पर रहेगा. यह जहाज अपने सफर के दौरान सबसे पहले यह पूर्वी रूस के शहर पेवेक जाएगा. इसको पूर्वी साइबेरिया ले जाने से पहले बंदरगाह पर सयंत्र में परमाणु ईंधन भरा जाएगा.रूस ने दुनिया का पहला तैरता परमाणु ऊर्जा संयंत्र तैयार कर लिया है. साथ ही इसे शनिवार को दुनिया के सामने पेश किया. रूस ने इसको मुरमंस्क शहर के एक बंदरगाह से समुद्र में उतारा. बता दें कि ये रूसी जहाज एक परमाणु रिएक्टर है. जो अगले एक साल तक समुंद्र के अंदर सफर पर रहेगा. यह जहाज अपने सफर के दौरान सबसे पहले यह पूर्वी रूस के शहर पेवेक जाएगा. इसको पूर्वी साइबेरिया ले जाने से पहले बंदरगाह पर सयंत्र में परमाणु ईंधन भरा जाएगा.     जानकारी के मुताबिक इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र को  'अकाडेमिक लोमोनोसोव' नाम दिया गया है. इसका मकसद पूर्वी और उत्तरी साइबेरिया के दूरदराज के इलाकों में बिजली आपूर्ति करना और ऑयल रिफाइनिंग करना है. इसका निर्माण सरकारी परमाणु ऊर्जा कंपनी रोस्तम ने सेंट्स पीटरसबर्ग में बनाया है. यह परमाणु सयंत्र दो लाख की आबादी की बिजली की जरूरतों को पूरा कर सकता है.     विशेषज्ञों का कहना है कि आर्कटिक महासागर में तैरते हुए परमाणु रिएक्टर यहां के मौसम और हवाओं को देखते हुए खतरनाक हो सकते हैं.इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र की लंबाई 144 मीटर, चौड़ाई 30 मीटर और वजन 21,000 टन है. इसमें 35 मेगावाट के दो न्यूक्लियर रिएक्टर हैं, जो रिएक्टर बर्फ के पहाड़ों को काटने वाले आइसब्रेकर शिप के रिएक्टर जैसे हैं.

जानकारी के मुताबिक इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र को  ‘अकाडेमिक लोमोनोसोव’ नाम दिया गया है. इसका मकसद पूर्वी और उत्तरी साइबेरिया के दूरदराज के इलाकों में बिजली आपूर्ति करना और ऑयल रिफाइनिंग करना है. इसका निर्माण सरकारी परमाणु ऊर्जा कंपनी रोस्तम ने सेंट्स पीटरसबर्ग में बनाया है. यह परमाणु सयंत्र दो लाख की आबादी की बिजली की जरूरतों को पूरा कर सकता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि आर्कटिक महासागर में तैरते हुए परमाणु रिएक्टर यहां के मौसम और हवाओं को देखते हुए खतरनाक हो सकते हैं.इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र की लंबाई 144 मीटर, चौड़ाई 30 मीटर और वजन 21,000 टन है. इसमें 35 मेगावाट के दो न्यूक्लियर रिएक्टर हैं, जो रिएक्टर बर्फ के पहाड़ों को काटने वाले आइसब्रेकर शिप के रिएक्टर जैसे हैं.

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