जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला ने सोमवार को एक बार फिर अपने बयान से विवाद खड़ा कर दिया। फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र पीओके में झंडा फहराने की बात करने से पहले श्रीनगर के लाल चौक में ही झंडा फहराकर दिखाए। उन्होंने कहा कि वह तथ्यों पर बात करते हैं।
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पीओके पर जो उन्होंने कहा है वही सच है। केंद्र और भाजपा यहां तो झंडा फहरा नहीं सकते और पीओके की बात करते हैं। फारुक यहां जम्मू-कश्मीर के पूर्व वित्त मंत्री, सांसद और कांग्रेसी नेता स्व. गिरधारी लाल डोगरा की 30वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे।
अब्दुल्ला ने हाल ही में यह कहकर सियासत को गरमा दिया था कि पीओके भारत का हिस्सा नहीं बन सकता। पत्रकारों से बात-चीत में फारुक ने फिर मजबूती से कहा कि सच यही है। पीओके हमारा हिस्सा नहीं है और जम्मू-कश्मीर उनका (पाक का) हिस्सा नहीं। केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर आपको सच सुनना पसंद नहीं तो आप झूठ के साथ जी सकते हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी टिप्पणियों से भारतीय की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचती? उन्होंने पलटकर पूछा-भारतीय भावनाओं से क्या मतलब?, क्या मैं भारतीय नहीं हूं? आप किसकी भावनाओं की बात कर रहे हैं? वे लोग, जो हमारा दुख नहीं देखते? जो हमारे सीमा पर रहने वालों का दुख नहीं देखते? पत्थरबाजों के खिलाफ केस वापस लिए जाने की बात से उन्होंने अनभिज्ञता जताई।
राजोरी में हाल ही में दो छात्रों के राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े न होने के सवाल पर फारुक अब्दुल्ला ने इसे गलत ठहराया। कहा कि राष्ट्र का सम्मान सबसे महत्वपूर्ण है। राष्ट्रगान सबसे सम्माननीय।
डा. फारुक अब्दुल्ला ने केंद्र के विशेष प्रतिनिधि दिनेश्वर शर्मा को भी ‘गुड लक’ कहा, जो शांति कायम करने के मकसद के साथ रियासत के विभिन्न हिस्सों का दौरा कर विभिन्न पक्षों से बात-चीत कर रहे हैं।
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