फौजी मतों को लुभाने को खेला जाएगा सियासी दांव

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने सैन्य बलों व परिवारों के 15 प्रतिशत वोट बैंक को अपने प्रचार अभियान में टारगेट के तौर पर रखा है।
फौजी मतों को लुभाने को खेला जाएगा सियासी दांव

उत्तराखंडः कांग्रेस को एक और झटका, अब इन्होंने थामा भाजपा का हाथ

सैनिकों, पूर्व सैनिकों सहित अर्द्धसेना बलों के मत किसी भी प्रत्याशी की जीत-हार में अहम रहते हैं। राज्य के पौने दो लाख पूर्व सैनिक व दिवंगत सैनिकों की पत्नियां, 90 हजार सेवारत सैनिक और सवा़ लाख अर्द्धसैनिक बलों से रिटायर और कार्यरत जवान व अधिकारी हैं। सैन्य मतों का भाजपा के प्रति रुझान होना कांग्रेस की बड़ी चुनौती है। कांग्रेस ने लेफ्टिनेंट जनरल टीपीसी रावत को लैंसडौन से टिकट दिया है, जहां आबादी के अनुपात में फौजी वोटों का सर्वाधिक घनत्व है।

लेफ्टिनेंट जनरल गंभीर सिंह नेगी कांग्रेस में पहले से सक्रिय हैं, जिन्हें सैनिक कल्याण परिषद में कैबिनेट मंत्री का दर्जा सीएम हरीश रावत ने दिया था। हालांकि, रावत सरकार के सैनिक कल्याण मंत्री हरक सिंह रावत अब भाजपा के कोटद्वार से प्रत्याशी हैं। उनकी टक्कर अर्द्धसैनिक कल्याण मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी से होगी।

राज्य गठन के बाद तीन लोकसभा चुनाव में भाजपा को सैनिकों के पोस्टल बैलेट का 80 फीसदी मिलता रहा है, जिसे पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी की लोकप्रियता से जोड़ा जाता है। खंडूड़ी का चेहरा तो है ही साथ ही स्टार प्रचारकों में जनरल वीके सिंह इन्फेंट्री पृष्ठभूमि वाले सैन्य वोटरों को रिझाएंगे। रक्षा मंत्री की पर्वतीय क्षेत्रों में सर्वाधिक जनसभाएं रखी जा रही हैं। दलों के सियासी रणनीतिकार की चिंता पोस्टल बैलेट को लेकर भी है।

फौजी मत : भाजपा बनाम कांग्रेस

सीएम हरीश रावत अपने सरकार में सैनिक कल्याण के लिए लिए फैसलों को गिनाने के साथ अपने घोषणा पत्र में सैनिक व अर्द्धसैनिक कल्याण मंत्रालय की बात कर रहे हैं। कांग्रेस सरकार पूर्व सैनिकों के हितों में बीते चार माह में हाउस टैक्स में माफी, स्टांप ड्यूटी में छूट, वीरता पदकों की राशि बढ़ाने, शहीदों को 10 लाख रुपये की सम्मान राशि और सीएसडी कैंटीन में शराब पर एक्साइज ड्यूटी माफ करने जैसे फैसलों को प्रचारित करेगी।

CM हरीश रावत ने जारी किया संकल्प पत्र, हर युवा को देंगे स्मार्ट फोन

उधर भाजपा का ट्रंप कार्ड तो वन रैंक वन पेंशन है। रक्षा मंत्री मनोहर परिकर से लेकर जनरल वीके सिंह इसी दांव को चलेंगे कि कांग्रेस जो उन्हें 40 वर्षों में नहीं दे पाई भाजपा की केंद्र सरकार ने उसे दो वर्ष में करके दिखा दिया। इसके अलावा प्रदेश के शहीद सैनिक का पहला वॉर मेमोरियल रक्षा मंत्रालय ने स्वीकृत किया है। इसके अलावा रक्षा मंत्री उत्तराखंड के युवाओं को भर्तियों में कद और शैक्षणिक योग्यता संबंधी छूट की घोषणा कर चुके हैं। भाजपा, कांग्रेस को सैनिक स्कूल जखोली और उल्लेखनीय सेवाओं की सम्मान राशि में वृद्धि की घोषणा कर उसका अनुपालन नहीं करने पर घेरेगी।

अर्द्धसैनिकों की नाराजगी झेलनी होगी 
राज्य में लगभग एक लाख अर्द्धसेना बलों से रिटायर जवान एवं अधिकारी हैं, जिनके लिए कांग्रेस सरकार ने अलग मंत्रालय और निदेशालय खोलने की घोषणा कर उसका अनुपालन नहीं करवाया। लोकसभा चुनाव 2014 से पहले रावत सरकार ने एक्स सेंट्रल फोर्सेस पर्सनल के तहत अर्द्धसैनिक बल कल्याण परिषद का गठन चुनाव से ठीक पहले इसी वोट बैंक को ध्यान में रखकर किया है, लेकिन उसका अनुपालन नहीं करवा पाए। इससे अर्द्धसैन्य बलों में खासी नाराजगी है। पूर्व सैनिकों की कल्याण योजनाओं की तरह अर्द्धसैनिकों के लिए भी योजनाएं शुरू करने की मांग के तहत उनके शहीदों के परिजनों को10 लाख रुपये दिया जा रहा है, लेकिन अन्य छात्रवृत्ति, पुत्री विवाह जैसी योजनाएं नहीं शुरू हुई। अर्द्धसैनिक कल्याण का अलग निदेशालय का ढांचा तय करने के बाद भी उसने धरातल पर आकार नहीं लिया।

जनपद    पूर्व सैनिक   शहीदों की पत्नियां
चमोली    10776      3704
देहरादून   22376      4000
हरिद्वार    14876       4036
पौड़ी       21834      3750
रुद्रप्रयाग   3261        1375
टिहरी      4826       1740
उत्तरकाशी  733         201
अल्मोड़ा   9884        3916
बागेश्वर    7960       3276
चंपावत    3409       1037
नैनीताल   10314       2658
पिथौरागढ़  16517      7348
यूएसनगर  6557       1864   
सेवारत सैनिकों की संख्या
– टिहरी लोस में 9511
– पौड़ी लोस में  30789
– अल्मोड़ा लोस में 16634
– नैनीताल लोस में 9934
– हरिद्वार लोस में 3949
– 30167 सैनिकों के साथ रहने वाले परिवारजनों के

 
 
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