बकरीद के खाश मौके पर भी बकरों को नहीं मिल रहे खरीददार

बकरीद से पहले देश के अलग अलग इलाकों से बकरा व्यापारी राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न इलाकों में आना शुरू हो गए हैं लेकिन उनके मुताबिक, इस बार बाजार मंदा है और खरीदार कम तथा सस्ते बकरों की तलाश में बाजारों में आ रहे हैं.बकरीद के खाश मौके पर भी बकरों को नहीं मिल रहे खरीददार

ईद-उल-अज़हा यानि बकरीद इस बार आगामी दो सितंबर को मनाई जाएगी. बकरीद पर मुसलमान अल्लाह की राह में बकरे या किसी अन्य पशुओं की कुर्बानी की जाती है. इसके लिए हर साल उत्तर प्रदेश के बरेली, अमरोहा, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, बदायूं के अलावा हरियाणा और राजस्थान से भी बकरा व्यापारी दिल्ली के अलग अलग इलाके में लगने वाली बकरा मंडियों का रूख करते हैं, लेकिन इस बार मंज़र कुछ अलग है. मंडियों में खरीदार कम हैं जिससे व्यापारियों के माथे पर शिकन आ रही हैं.

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बरेली जिले से हर साल मीना बाजार में बकरे बेचने आने वाले नूर मोहम्म्द ने कहा इस साल बाजार बहुत हल्का है. विभिन्न आर्थिक कारणों से लोग महंगा बकरा नहीं खरीद रहे. उन्हें सस्ते बकरे चाहिए. इस वजह से अमूमन 15000 रूपये में बिकने वाले बकरे की कीमत 10-11 हजार रूपये रह गई है और उस पर भी खरीदार मोल तोल कर रहे हैं.

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गौरतलब है कि पुरानी दिल्ली के मीना बाजार, सीलमपुर, जाफराबाद, मुस्ताफाबाद, शास्त्री पार्क, जहांगीरपुरी और ओखला आदि इलाकों में बकरों की मंडियां लगती हैं. पुरानी दिल्ली के कारोबारी मोहम्मद रफी ने कहा कि नोटबंदी के बाद कारोबार पर असर पड़ा है जिससे लोग सस्ते बकरे की तलाश में हैं. अमूमन अब तक मंडियों में खासी भीड़ होती थी लेकिन इस बार कम ही लोग मंडियों में जा रहे हैं.

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