बढ़ते शहरीकरण और जनसंख्या के रुझान को देखते हुए, साल 2030 तक गैर-कृषि नौकरियों की तलाश में 9 करोड़ अतिरिक्त होंगे कर्मचारी

कोविड-19 युग के बाद के समय में अवसर पैदा करने के लिए भारत की जीडीपी में सालाना 8-8.5 फीसद की वृद्धि होनी चाहिए। अगर ग्रोथ को वापस लाने के लिए तत्काल कदम नहीं नहीं उठाए गए, तो देश पर आय और जीवन स्तर के लंबे समय तक स्थिर रह जाने का जोखिम है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। मैकिंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट (McKinsey Global institute) की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में उत्पादकता बढ़ाने और नौकरियां पैदा करने के लक्ष्य के साथ अगले 12 से 18 महीने तक विभिन्न सुधार उपाय लागू करने की जरूरत है।

बढ़ते शहरीकरण और जनसंख्या के रुझान को देखते हुए, साल 2030 तक गैर-कृषि नौकरियों की तलाश में 9 करोड़ अतिरिक्त कर्मचारी होंगे। रिपोर्ट के अनुसार, इन लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए भारत की ग्रोथ रेट 8 से 8.5 फीसद के बीच होनी चाहिए। हालांकि, इस आंकड़े में 5.50 करोड़ महिलाओं को शामिल नहीं किया गया है जो दोबारा नौकरी में आ सकती हैं।

मैकिंजी की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि छह करोड़ नए वर्कर्स रोजगार बाजार में प्रवेश करेंगे। वहीं, तीन करोड़ वर्कर्स खेती-किसानी के काम से बाहर आकर दूसरे क्षेत्रों में नौकरी तलाश सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 2029-2030 तक सबको नौकरी प्रदान करने के लिए हर साल गैर कृषि सेक्टर में 1.20 करोड़ नए रोजगार के मौके पैदा करने होंगे।

इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कैसे हमारा देश इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। रिपोर्ट में तीन चीजें बताई गईं हैं, जिनसे आर्थिक वृद्धि को बढ़ाया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार,  सरकार मैन्युफैक्चरिंग, एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट्स और डिजिटल सर्विस पर फोकस करके आर्थिक वृद्धि दर को बढ़ा सकती है।

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com