बेटे बनकर अनजान शवों को पहले दी मुखाग्नि, फिर विसर्जित की अस्थियां

नरसिंहपुर, देश-प्रदेश में कुछ ऐसी घटनाएं भी सामने आईं जब शवों का क्रियाकर्म करने के बजाय उन्हें नदी-तालाबों में बहाकर संवेदनाओं को तार-तार किया जा रहा था। इसके इतर नगरपालिका नरसिंहपुर के कर्मचारियों ने मानवता की जो तस्वीर पेश की है, वह बेमिसाल है। इन कर्मचारियों ने ऐसे शवों, जो या तो लावारिस थे या जिनके परिजन अस्पताल में छोड़कर चले गए थे, को इन कर्मचारियों ने बेटे का फर्ज अदा करते हुए न सिर्फ मुखाग्नि दी, बल्कि अज्ञात पितरों की संतुष्टि के लिए उनकी खारी का नर्मदा में विधि-विधान से विसर्जन भी कि

मंगलवार को शहर के नकटुआ स्थित मुक्तिधाम में करीब 30 चिता से बटोरी गई अनजान व्यक्तियों की खारी को बोरियों में अलग-अलग रखकर उनका पूजन-अर्चन किया गया। नगर पालिका सीएमओ कुंवर विश्वनाथ सिंह की अगुवाई में सफाई व शवदाह कर्मियों ने खारी पर पुष्पमालाएं अर्पित कीं। हिंदू रीति-रिवाज के साथ पूजन-अर्चन कर इन्हें ससम्मान बरमान के रेतघाट लेकर रवाना हुए। इस पुनीत कार्य में शहर के समाजसेवियों, नगर भाजपा मंडल समेत नरसिंह मुक्तिधाम सेवा समिति का भी सहयोग रहा। बरमान के रेत घाट में दोपहर करीब तीन बजे इन खारी की पुन: परंपरानुसार पूजा-अर्चना की गई, फिर इन्हें नाव के जरिए नर्मदा नदी की बीच धार में प्रवाहित किया गया।

एक माह में एकत्र की गईं खारी

25 मई को जिन खारी का विसर्जन नर्मदा नदी में किया गया था, उन्हें पिछले एक माह में एकत्र किया गया था। इनमें कोई किसी का पिता था, तो कोई माता, बहन या भाई। मौत के बाद शवों के साथ मुक्तिधाम आने के बजाय इनके स्वजनों ने उन्हें लावारिस ही छोड़ दिया था। इसके कारण इन शवों का क्रियाकर्म, अंतिम संस्कार नगरपालिका नरसिंहपुर के कर्मचारियों ने ही किया था।

 

 

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