केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने से बैंकों को 3800 करोड़ रुपये की चपत जुलाई 2017 तक लग चुकी है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से जारी की गई एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। इससे बैंकों की आय पर असर पड़ेगा। अगर आपके पास ‘आधार’ नहीं है , तो नही उठा पाएंगे सरकार की इन 135 स्कीमों का फायदा
ऐसे लगी बैंकों को कैशलेस पेमेंट से चपत
एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के बाद सरकार ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए बैंकों से अपनी पाइंट ऑफ सेल (पीओएस) की संख्या को बढ़ाने को कहा था। इसके बाद बैंकों ने अपनी पीओएस मशीन की संख्या दोगुनी कर दी थी।
मार्च 2016 में इनकी संख्या 13.8 लाख थी, जो कि जुलाई 2017 में बढ़कर 28.4 लाख हो गई। बैंकों ने मशीन को लगाने पर काफी पैसा खर्च किया, लेकिन उसके अनुपात में प्रॉफिट नहीं आया। बैंक रोजाना 5000 मशीन पूरे देश में लगा रहे हैं।
68500 करोड़ के हुए डेबिट कार्ड से ट्रांजेक्शन
पीओएस मशीनों से डेबिट और क्रेडिट कार्ड लेनदेन का आंकड़ा अक्टूबर 2016 में 51,900 करोड़ रुपये से बढ़कर जुलाई 2017 में 68,500 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था। दिसंबर 2016 में यह आंकड़ा 89,200 करोड़ रुपये की ऊंचाई पर पहुंच गया था।
एसबीआई के अनुमानों के मुताबिक, इंटर बैंक ट्रांजेक्शन से पीओएस टर्मिनल्स पर 4,700 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। इसमें से अगर एक ही बैंक में किए गए पीओएस ट्रांजेक्शन को घटा दें तो यह कुल घाटा 3,800 करोड़ रुपये हुआ।