दिल्ली सरकार की आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों के लाभ के पद से जुड़े मामले में चुनाव आयोग ने विधायकों की याचिका खारिज कर दी है. चुनाव आयोग के इस कदम से आम आदमी पार्टी को झटका लगा है, गौरतलब है कि आप आदमी पार्टी के 21 विधायकों के लाभ के पद पर नियुक्ति को लेकर काफी विवाद हुआ था. दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था. जिस पर विवाद के बाद मामला न्यायालय में लंबित है.
चुनाव आयोग ने विधायकों की याचिका खारिज कर दी :
इस मामले में दिल्ली सरकार के 21 विधायकों ने चुनाव आयोग में याचिका देकर लाभ के पद का मामला खत्म करने की मांग की थी, जिसे चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया है. इस मामले में चुनाव आयोग अगस्त में अपना फैसला सुना सकता है, मामले में आप के 21 विधायकों की सदस्यता समाप्त किये जाने की आशंका है.
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अर्जी पर आप ने कहा था कि मामले में आयोग का फैसला अगर पार्टी के पक्ष में नहीं रहा तो पार्टी फैसले को चुनौती देगी. आम आदमी पार्टी ने अपने बयान में कहा कि ‘चुनाव आयोग के हालिया आदेश की गलत व्याख्या नहीं होनी चाहिए.
पार्टी के अनुसर दिल्ली हाई कोर्ट ने लाभ के पदों पर नियुक्त 21 विधायकों की नियुक्ति रद्द कर दी थी. इसलिए इस पद से जुडी याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए, क्योंकि हाई कोर्ट के अनुसार वह पद कभी अस्तित्व में नहीं रहा. और चुनाव आयोग ने याचिका पर अभी भी सुनवाई करने का आदेश दिया है, आयोग के आदेश को चुनौती देने के लिए सभी तत्व मौजूद हैं, पार्टी दिल्ली हाई कोर्ट और चुनाव आयोग के आदेश का सम्मान करती है.’
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गौरतलब है कि प्रशांत पटेल नाम के एक अधिवक्ता ने चुनाव आयोग में याचिका दाखिल कर आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की अपील की थी. वहीं कांग्रेस और बीजेपी ने इस मामले में एक अलग पक्ष बनाने की मांग की थी. मगर आयोग ने इन सभी अपीलों को खारिज कर दिया था. साथ ही पिछले साल सितम्बर में दिल्ली हाई कोर्ट ने 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था, कोर्ट ने इन नियुक्तियों को अवैधानिक बताया था.