देश के 54 हजार से भी ज्यादा पेट्रोल पंप 13 अक्टूबर को हड़ताल करेंगे. सरकार के सामने अपनी मांगो को रखने के लिए यूनाइटेड पेट्रोल फ्रंट (यूपीएफ) यह कदम उठा रही है. अगर सरकार हड़ताल पर जा रहे पेट्रोल पंपों की मांगे मान लेती है, तो इससे आम आदमी को भी फायदा होगा.Shocking: इस साल बॉलीवुड के महानायक नहीं मनाएंगे अपना 75वां जन्मदिन..!
एक दिन की होगी हड़फ़ताल
यूनाइटेड नेशंस पेट्रोलियम फ्रंट (यूपीएफ) ने बताया कि 13 अक्टूबर को देशभर में 54 हजार पेट्रोल पंप हड़ताल पर रहेंगे. यूनियनों ने धमकी दी है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी जाती हैं, तो वे 27 अक्टूबर को ईंधन खरीदना और बेचना बंद कर देंगे. अगर ऐसा होता है तो इससे आम लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ सकती हैं.
ये हैं मांगे
पेट्रोल पंप यूनियनों की मांग है कि उनका मार्जिन बढ़ाया जाए और इसमें हर 6 महीने में बदलाव किया जाए. निवेश पर बेहतर रिटर्न के लिए सरल नियम व शर्तें तैयार की जाएं. कर्मचारियों की कमी के मसले का हल निकाला जाए. इसके अलावा परिवहन और एथेनॉल ब्लेंडिंग से जुड़े मुद्दों का समाधान भी हो.
तेल कंपनियों ने नहीं सुनी मांगे
यूपीएफ ने कहा कि उन्होंने इससे पहले अपनी मांगो को लेकर तेल कंपनियों को लिखा, लेकिन उनकी तरफ से कोई भी सकारात्मक जवाब नहीं आया. इसकी वजह से अब उन्हें हड़ताल करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
इनकी ये मांग आम आदमी के लिए फायदेमंद
भले ही पेट्रोल पंप बंद रहने से आम लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन इनकी एक मांग आम लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. दरअलस इनकी मांग है कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जाए. अगर सरकार इस मांग को मान लेती है, तो इसका सबसे ज्यादा फायदा आम आदमी को पहुंचेगा. जीएसटी के तहत आने से पेट्रोल और डीजल काफी सस्ते हो जाएंगे. इससे आपकी जेब पर बोझ कम पड़ेगा.
ऑयल मिनिस्टर भी उठा चुके हैं मांग
इससे पहले ऑयल मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान भी पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने की मांग कर चुके हैं. हालांकि शुक्रवार को हुई जीएसटी परिषद की 22वीं बैठक में इस पर कोई फैसला नहीं हुआ. पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ रही कीमतों ने आम आदमी को परेशान कर रखा है. ऐसे में सरकार ने 2 रुपये एक्साइज ड्यूटी घटाकर बढ़ती कीमतों से राहत देने की कोशिश की है.