भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा-परिवहन मंत्री कैलाश गलहोल को तुरंत पद से हटाया जाए

भाजपा ने आरोप लगाया है कि लो फ्लोर बस खरीद मामले की जांच रिपोर्ट को लेकर दिल्ली सरकार भ्रम फैला रही है। जांच रिपोर्ट में बसों के वार्षिक रखरखाव के लिए जारी टेंडर को रद करने को कहा गया है। इसके विपरीत दिल्ली सरकार यह भ्रम फैला रही है कि उसे जांच में क्लीन चिट मिल गई है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता व अन्य नेताओं ने सवाल पूछा है कि यदि टेंडर में कोई गड़बड़ी नहीं है तो इसे रद करने की बात क्यों हो रही है? पार्टी ने भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) को इसकी जांच की अनुमति देने और परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत को पद से हटाने की मांग की है। भाजपा इसे लेकर आंदोलन तेज करेगी।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने प्रेस वार्ता में कहा कि परिवहन मंत्री के पद पर रहते हुए इस मामले की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है इसलिए इन्हें हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लगभग 890 करोड़ रुपये में बसें खरीदी गई और वारंटी के दौरान तीन वर्षों के रखरखाव पर 35 सौ करोड़ रुपये खर्च करने के लिए टेंडर निकाला गया। इसमें भारी अनियमितता हुई है।

 

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि जांच रिपोर्ट से स्पष्ट है कि भाजपा के आरोप सही हैं। उपराज्यपाल तुरंत परिवहन मंत्री गहलोत को उनके पद से हटाकर एसीबी को इस मामले की जांच करने की अनुमति दें। यदि इसमें देरी हुई तो भाजपा आंदोलन तेज करने को मजबूर हो जाएगी।

 

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व रोहिणी के विधायक विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि समिति की रिपोर्ट के अनुसार उसकी जांच वार्षिक रखरखाव के टेंडर पर केंद्रित थी। टेंडर प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया है। रखरखाव पर आने वाले खर्च का आकलन का आधार नहीं बताया गया है। अनुमानित खर्च का उल्लेख किए बगैर कंपनी के प्रस्ताव 45 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से भुगतान को स्वीकार कर लिया गया है। ग्लोबल टेंडर के नियमों का पालन नहीं हुआ है।

 

बस खरीद के टेंडर में ही कहा था कि बस आपूर्ति करने वाले को ही रखरखाव का टेंडर मिलेगा। इससे अन्य कंपनियों को टेंडर में भाग लेने का रास्ता बंद कर दिया गया। समिति की रिपोर्ट में परिवहन विभाग की आंतरिक जांच रिपोर्ट पर भी सवाल उठाया गया है। उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग की जांच खुद उसके सचिव कर रहे हैं इसलिए उनसे निष्पक्षता की उम्मीद नहीं की जा सकती है। यही कारण है कि दोषियों को बचाने के लिए टेंडर रद करने की बात की गई। इसकी एसीबी और सीबीआइ से जांच जरूरी है।

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