भाजपा ने कार्यसमिति के बहाने सौंपा निकाय चुनाव का एजेंडा..!

भाजपा ने कार्यसमिति के बहाने सौंपा निकाय चुनाव का एजेंडा..!

वैसे तो निकाय चुनाव में पार्टी के तौर पर भाजपा ही लंबे समय से बढ़त में दिखती है। बावजूद इसके भाजपा के रणनीतिकार इस बार चुनाव को लेकर बेफिक्र नहीं हो पा रहे हैं। भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बृहस्पतिवार को कानपुर में हुई बैठक में पार्टी का जो भी नेता बोला, उसका जोर निकाय चुनाव की तैयारियों पर ही रहा।भाजपा ने कार्यसमिति के बहाने सौंपा निकाय चुनाव का एजेंडा..!अभी-अभी: गुजरात में योगी को दिखाए गये काले झण्डे, पांच कांग्रेसी हिरासत में!

फर्क सिर्फ इतना दिखा कि मंच पर बैठे नेता बोले तो उन्होंने मोदी व योगी सरकार के काम बताए। इन कामों के सहारे निकाय चुनाव में लोगों को भाजपा के पक्ष में लामबंद रखने का आग्रह किया। मंच के सामने बैठने वालों में जिस किसी को बात रखने का मौका मिला तो उसने घुमा-फिराकर पार्टी नेताओं को यह बताने की कोशिश की कि विरोधी दल तेजी से भाजपा पर हमलावर हो रहे हैं।सीमित ही सही लेकिन जनता के बीच लोकसभा व विधानसभा चुनाव के विपरीत भाजपा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। सवालों के स्वरों को समर्थन न मिले, इस पर संगठन के लोगों को ध्यान देना चाहिए। ​

भाजपा कार्यसमिति की बैठक

कानपुर- कार्यसमिति की बैठक एक ही दिन की थी। इसलिए बहुत विस्तार से कई विषयों पर मंथन संभव ही नहीं था। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय, पूर्व केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय सह महामंत्री (संगठन) शिव प्रकाश, प्रदेश प्रभारी ओम माथुर तथा महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल ही बोले। इनका मुख्य जोर संगठन की मजबूत व निकाय चुनाव की तैयारी रही। किसी ने कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी समझाई।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह कहते हुए कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने की कोशिश की कि सरकार के कामों का लाभ लोगों को तभी मिल सकता है जब कार्यकर्ता इन कामों को नीचे तक पहुंचाने में मदद करेंगे। कुछ वक्ता पिछले दिनों घटी कुछ घटनाओं को मुखर हुई कार्यकर्ताओं की भावनाओं को लेकर सजग थे। शायद इसीलिए उन्होंने यह कहते हुए कार्यकर्ताओं को मरहम लगाने की कोशिश की कि कुछ स्थानों पर कार्यकर्ताओं को कठिनाई सामने आई है। इसे ठीक करने की कोशिश हो रही है। 

भाजपा कार्यसमिति की बैठक

लंबे समय से भाजपा के सत्ता से बाहर होने के कारण सरकारी मशीनरी की कार्यसंस्कृति बिगड़ी हुई है। जिसे ठीक करने में वक्त लग रहा है। कार्यकर्ता धैर्य रखें। लोकसभा व विधानसभा चुनाव की तरह निकाय तथा सहकारिता चुनाव में भी भाजपा का परचम फहराने में जुटे। उनके मान-सम्मान की चिंता की जाएगी। संकेतों में यह कहते हुए भी कि काम करने वालों को पूरा महत्व दिया जाएगा, कार्यकर्ताओं को साधने की कोशिश हुई। वजह यह तो नहीं सत्ता में होने के बावजूद भाजपा की निकाय चुनाव को लेकर चिंता की वजह समझी जा सकती है।

पार्टी अब प्रदेश और केंद्र दोनों स्थानों पर भारी बहुमत के साथ सत्ता में है। इस नाते नगरीय क्षेत्रों के ज्यादातर क्षेत्र भाजपा के सांसदों व विधायकों के चुनाव क्षेत्र में ही आते हैं। भाजपा नेताओं को पता है कि निकाय चुनाव के इस बार के नतीजे सिर्फ जीत-हार तक सीमित न रहकर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों की संभावना तथा भाजपा की लोकप्रियता के विश्लेषण का पैमाना भी बनेंगे। 

ये निकाय चुनाव बाद भाजपा के पक्ष व विपक्ष में माहौल बनाने का कारण बनेंगे। परिणाम बेहतर रहे तो लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी को मनोवैज्ञानिक बढ़त मिलेगी। इससे इतर नतीजे भाजपा पर दबाव बढ़ाएंगे और विपक्ष को हमलावर होने का मौका देंगे। इसीलिए महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने अपने उद्बोधन में निकाय चुनाव उम्मीदवारों की चयन की प्रक्रिया से लेकर अब तक इस काम के लिए हुई तैयारियों के बारे में विस्तार से बताया। आश्वस्त किया कि संगठन को अपने मुख्य शक्ति कार्यकर्ताओं का पूरा ख्याल है। वे तौर-तरीके समझाएं जिनके जरिये भाजपा कार्यकर्ता शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के बीच पार्टी का आधार मजबूत कर सकते हैं। विपक्ष को कठघरे में खड़ा कर सकते हैं।

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