वैसे तो निकाय चुनाव में पार्टी के तौर पर भाजपा ही लंबे समय से बढ़त में दिखती है। बावजूद इसके भाजपा के रणनीतिकार इस बार चुनाव को लेकर बेफिक्र नहीं हो पा रहे हैं। भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बृहस्पतिवार को कानपुर में हुई बैठक में पार्टी का जो भी नेता बोला, उसका जोर निकाय चुनाव की तैयारियों पर ही रहा।
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फर्क सिर्फ इतना दिखा कि मंच पर बैठे नेता बोले तो उन्होंने मोदी व योगी सरकार के काम बताए। इन कामों के सहारे निकाय चुनाव में लोगों को भाजपा के पक्ष में लामबंद रखने का आग्रह किया। मंच के सामने बैठने वालों में जिस किसी को बात रखने का मौका मिला तो उसने घुमा-फिराकर पार्टी नेताओं को यह बताने की कोशिश की कि विरोधी दल तेजी से भाजपा पर हमलावर हो रहे हैं।सीमित ही सही लेकिन जनता के बीच लोकसभा व विधानसभा चुनाव के विपरीत भाजपा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। सवालों के स्वरों को समर्थन न मिले, इस पर संगठन के लोगों को ध्यान देना चाहिए।
भाजपा कार्यसमिति की बैठक
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह कहते हुए कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने की कोशिश की कि सरकार के कामों का लाभ लोगों को तभी मिल सकता है जब कार्यकर्ता इन कामों को नीचे तक पहुंचाने में मदद करेंगे। कुछ वक्ता पिछले दिनों घटी कुछ घटनाओं को मुखर हुई कार्यकर्ताओं की भावनाओं को लेकर सजग थे। शायद इसीलिए उन्होंने यह कहते हुए कार्यकर्ताओं को मरहम लगाने की कोशिश की कि कुछ स्थानों पर कार्यकर्ताओं को कठिनाई सामने आई है। इसे ठीक करने की कोशिश हो रही है।
पार्टी अब प्रदेश और केंद्र दोनों स्थानों पर भारी बहुमत के साथ सत्ता में है। इस नाते नगरीय क्षेत्रों के ज्यादातर क्षेत्र भाजपा के सांसदों व विधायकों के चुनाव क्षेत्र में ही आते हैं। भाजपा नेताओं को पता है कि निकाय चुनाव के इस बार के नतीजे सिर्फ जीत-हार तक सीमित न रहकर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों की संभावना तथा भाजपा की लोकप्रियता के विश्लेषण का पैमाना भी बनेंगे।
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