चीनी मीडिया ने कहा:- भारत के विकास से घबराये नहीं, सबक ले चीन

बीते रविवार को चीन ने एक अखबार ने भारत की बढ़ती ताकत को मानते हुए कहा कि भारत में विदेशी निवेश की बाढ़ सी आ गई है। इससे भारत के विनिर्माण क्षेत्र को निश्चित रूप से बल मिलेगा और चीन को इसके बावजूद शांत रहना होगा और विकास को बढाने के लिए नई नीतियों पर काम करना शुरू करना होगा।चीनी मीडिया ने कहा:- भारत के विकास से घबराये नहीं, सबक ले चीन

अखबार ने यह भी कहा कि विदेशी विनिर्माताओं के निवेश का भारी प्रवाह भारत की अर्थव्यवस्था, रोजगार और औद्योगिक विकास के लिए काफी मायने रखता है। भारत के विकास पर चीन को शांति रखनी होगी और भारत के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए चीन को अब ऐसी प्रभावी वृद्धि रणनीति पर काम शुरू करना होगा जो नए युग के लिए पूरी तरह से तैयार हो। विदेशी विनिर्माताओं के आने से भारत की कुछ कमजोरियां दूर होंगी और और इसके विनिर्माण की क्षमता बढ़ेगी। चीनी कंपनियां भी भारत की विकास प्रक्रिया में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

भारत-चीन-म्यांमार के बीच त्रिपक्षीय संवाद होगा दिलचस्प 

चीन की सरकारी मीडिया ने कहा है कि भारत, म्यांमार और चीन के बीच त्रिपक्षीय संवाद भविष्य में एक दिलचस्प विषय होगा क्योंकि इसका क्षेत्र के व्यापक भूराजनीतिक एवं आथर्कि महत्व होगा।

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समाचार पत्र  ‘ग्लोबल टाइम्स’ में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है, “म्यांमार के लिए कोई शत्रु नहीं की नीति सर्वश्रेष्ठ रणनीतिक विकल्प है। फिलहाल के लिए उसे चीन और भारत के बीच के विवाद का फायदा हुआ है।” लेख में कहा गया कि चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने, अपनी आथर्कि स्थिति को विविध बनाने के लिए म्यांमार भारत के साथ अपने संबंधों को बढ़ा रहा है। 
        
अखबार के अनुसार इन बातों को ध्यान में रखते हुए त्रिपक्षीय संवाद एक दिलचस्प विषय होगा क्योंकि इसका क्षेत्र के लिए व्यापक भूराजनीतिक एवं आथर्कि महत्व होगा। चीनी अखबार में यह लेख उस वक्त प्रकाशित हुआ है जब पिछले दिनों म्यांमार के सेना प्रमुख का आठ दिवसीय भारत का दौरा संपन्न हुआ। 

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चीन और पाकिस्तान से चल रहे सीमा विवाद को लेकर जारी तनाव को भारत काफी गंभीरत से ले रहा है। दोनों देशों की ओर से मिल रही लगातार धमकियों से लोहा लेने के लिए भारती सेना ने हथियारों के आधुनिकीकरण पर जोर दिया है। इसके लिए भारतीय सेना ने अगले 5 सालों के रक्षा बजट की मांग की है, जिसमें मुख्यत हथियारों के आधुनिकीकरण पर जोर दिया जाएगा। 

एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक, सेना ने 2017-2022 तक का करीब 27 लाख करोड़ का रक्षा बजट तय किया गया है। 10-11 जुलाई को डीआरडीओ  (DRDO) समेत सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद यूनिफाइड कमांडरों के सम्मेलन में 2017-2022 के लिए 13वीं समेकित रक्षा योजना पेश की गई, जिसका अनुमान 26,83,924 करोड़ रुपये का है। 

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रक्षा बजट में बढ़ोतरी की मांग ऐसे समय में आई है, जब सिक्किम में चीन के साथ टकराव चल रहा है और एलओसी पर पाकिस्तान के साथ लगातार गोलीबारी हो रही है। बताया जा रहा है कि सशस्त्र बलों ने 13 वीं योजना को जल्द मंजूरी देने पर जोर दिया, क्योंकि उनकी वार्षिक अधिग्रहण योजनाएं इसके आधार पर हैं। दरअसल, भारत और भूटान का चीन के साथ सिक्किम-भूटान-तिब्बत ट्राई-जक्शन पर विवाद चल रहा है। साथ ही चीन की ओर भारत को लगातार बॉर्डर पर मनमानी की जा रही है और इसलिए भारत ने अपनी सेना के आधुनिकीकरण पर जोर देना शुरू कर दिया।

केंद्रीय रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने इस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया और आर्मी को भरोसा दिलाया कि सेना का आधुनिकीकरण जरूरी है। लेकिन यह भी सच है कि वास्तविक वार्षिक रक्षा बजट में गिरावट की वजह से आधुनिकीकरण बजट लटका हुआ है और इसका मतलब है कि सेना, नौसेना और भारतीय वायुसेना अभी भी महत्वपूर्ण परिचालन घाटे से जूझ रही है

इसके अलावा, 2.74 लाख करोड़ रुपये का रक्षा बजट अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद का 1.56% है, जो चीन के साथ 1962 के युद्ध के बाद से सबसे कम आंकड़ा है। एक सूत्र ने बताया कि वे रक्षा बजट में तेजी चाहते हैं ताकि इसका आंकड़ा जीडीपी के कम से कम 2% तक पहुंच सकें।

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