मध्यप्रदेश में कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चों के लिए शुरू हुई मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना

भोपाल: मध्यप्रदेश में कोविड-19 का कहर अब कम होने लगा है। ऐसे में इस संकट के समय में में अनाथ हुए बच्चों के लिए राज्य सरकार ने बीते रविवार को ‘मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना’ शुरू की है। इस योजना के तहत 130 परिवारों के 173 बच्चों के खातों में प्रति बच्चा प्रतिमाह 5,000 रूपये के मान से सिंगल क्लिक से आज राशि अंतरित की गई। आप सभी जानते ही होंगे कि कोरोना वायरस के कारण जिन बच्चों के सिर से माता-पिता का साया उठ गया है उन्हें तत्काल सहायता उपलब्ध कराने और उनके गरिमापूर्ण जीवन निर्वाह के लिए यह योजना आरंभ की गई है। बीते 21 मई 2021 से आरंभ इस योजना में बच्चों को 5,000 रूपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता, नि:शुल्क राशन और बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी।

जी दरअसल इस योजना के पात्र हितग्राही बच्चों के बीच अपने निवास से डिजिटल तरीके से पेंशन राशि वितरित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘‘हम कोविड-19 के महासंकट में अनाथ हुए बच्चों को यह अहसास नहीं होने देगें कि उनके माँ-बाप नहीं हैं। हम हर बच्चे की उंगली थामेंगे। कोरोना वायरस की विपदा के कारण अनाथ हुए सभी बच्चों की पढ़ाई लिखाई, भोजन और आर्थिक सुरक्षा का ध्यान रखा जाएगा।” इसी के साथ आगे उन्होंने कहा,‘‘ बच्चे मेहनत करें, अपने माता-पिता के सपनों को साकार करें। मैं आपका मामा और कल्याणकारी राज्य सरकार हर कदम पर आपके साथ है।”

वहीँ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘राज्य एक भयानक त्रासदी से गुजरा है। ऐसी महामारी सैकड़ों सालों में एक बार आती है। कोरोना वायरस की पहली लहर का प्रकोप कम था, लेकिन दूसरी लहर में संक्रमितों की संख्या अप्रत्याशित रूप से तेजी से बढ़ी और वायरस की अधिक घातकता के कारण कई लोग हमारा साथ छोड़ गए।” इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि, ‘‘यह मेरी जिंदगी का सब से भयानक दौर था। संभालने के कई प्रयासों के बाद भी हम कई भाई-बहनों को बचा नहीं पाये। मासूम बच्चों के सिर से माता-पिता का साया उठने से स्थिति अधिक पीड़ादायक बनी। जिन घरों में अब माता-पिता दोनों नहीं हैं वहां वेदना बहुत अधिक है। ऐसे बच्चों को दर-दर की ठोकरें खाने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता। सरकार और समाज को इन बच्चों का दायित्व लेना होगा। कोविड के प्रकोप में प्रभावित हुए बच्चे अपने आप को अकेला नहीं समझें। उनकी पूरी चिंता की जाएगी। राज्य सरकार ने प्रत्येक बच्चे के लिए 5,000 रूपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता, ऐसे बच्चों और उनके संरक्षक को प्रतिमाह नि:शुल्क राशन और पढ़ाई की व्यवस्था की है। समाज भी इस दिशा में आगे आ रहा है।”

आगे उन्होंने कहा कि, ”बच्चों की नि:शुल्क पढ़ाई की व्यवस्था की जाएगी, यदि बच्चा नौवीं से 12वीं तक की कक्षाओं में निजी स्कूल में पढ़ता है तो साल में एक मुश्त 10,000 रूपये की सहायता दी जायेगी। उनके अनुसार शासकीय अनुदान प्राप्त कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों की व्यवस्था भी की जाएगी। जो बच्चे जेईई मेन्स परीक्षा या इसी प्रकार की अन्य परीक्षा के द्वारा निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश पाते हैं, उन्हें 1.50 लाख रूपये तक का शुल्क शासन द्वारा प्रदान किया जायेगा। नीट परीक्षा से प्रवेश पर शासकीय और निजी मेडिकल कॉलेजों का पूरा शुल्क राज्य शासन द्वारा वहन किया जायेगा। कामन लॉ एडमीशन टेस्ट के द्वारा या राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित परीक्षा में या दिल्ली विश्वविद्यालय में 12वीं कक्षा के बाद होने वाले एडमीशन में कॉलेजों का समस्त शुल्क राज्य सरकार देगी। पढ़ाई के लिए लेपटॉप या टेबलेट की आवश्यकता होगी तो उसकी व्यवस्था भी की जाएगी।”

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