बिहार प्रदेश में सियासत हर रोज बनती और बिगड़ती दिख रही है. महागठबंधन के तहत बनी सरकार भी मुश्किलों में दिख रही है. इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जेडीयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार और आरजेडी के मुखिया लालू प्रसाद यादव से बीते रोज फोन पर बात की और उन्हें तमाम मतभेद भुलाकर साथ काम करने को कहा.UPA ने रची थी बड़ी साजिश, मोहन भागवत को आतंकियों की सूची में किया शामिल…
ऐसे में जहां एक ओर महागठबंधन के तीनों नेता आपस में बातचीत कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर तीनों दलों का नेतृत्व अपने-अपने विधायकों को भी बचाने में जुट गया है. एक ओर जहां महागठबंधन को बचाने की कोशिश जारी है. वहीं तीनों दलों को यह चिंता खाए जा रही है कि कहीं बिहार में विधायकों की खरीद-फरोख्त का मौसम फिर से न लौट आए.
गौरतलब है कि इस समय आरजेडी के विधायकों की संख्या 80 है. जेडीयू के 71 विधायक हैं और कांग्रेस के 27 विधायक हैं. प्रदेश में सरकार चलाने के लिए 122 का जादुई आंकड़ा चाहिए. बिहार में बीतते समय के साथ-साथ लालू और नीतीश की दूरियां भी बढ़ती दिख रही हैं.
एक तरफ नीतीश कुमार हैं जो अपनी सुशासन बाबू की छवि पर लगने वाले दाग को लेकर गंभीर हैं. जदयू के हवाले से आने वाली खबरों के हिसाब से तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम की कुर्सी छोड़नी होगी. वहीं दूसरी और लालू प्रसाद यादव हैं. वे हुंकार भरते हुए कह रहे हैं कि नीतीश कुमार को बीजेपी के भुलावे व लालच में नहीं आने देंगे और किसी भी हालात में तेजस्वी यादव को कुर्सी नहीं छोड़ने देंगे.
पटना के रण में दोनों पार्टियां डट गई हैं और अब दिल्ली से कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने दोनों दलों के लिए शांति संदेश भेजा है. उन्होंने दोनों वरिष्ठ नेताओं फोन पर बात की और उन्हें तमाम मतभेद भुलाकर साथ काम करने को कहा.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस बीच मध्यस्थ बनीं ताकि गठबंधन ना टूटे, लेकिन दबी जुबान में कांग्रेस के कुछ नेता भी सवाल उठा रहे हैं कि जब नीतीश कुमार ने लालू के साथ मिलकर महागठबंधन तैयार किया था. तब भी लालू प्रसाद पर कई मुकदमे चल रहे थे. वे चारा घोटाले में दोषी साबित हो चुके थे. ऐसे में बिहार में तमाम दल गठबंधन के टूटने की स्थिति में अपने विधायकों को अपने साथ रखने की कवायद में जुटे हैं.