महालक्ष्मी मंदिर में इतना धन आया कि रखने की जगह ही कम पड़ गई

रतलाम। धनतेरस पर महालक्ष्मी मंदिर को करोड़ों रुपए के आभूषणों, हीरों-जवाहरातों से सजाया गया है। पांच दिवसीय दीप पर्व की शुरुआत धनतेरस से हुई और तड़के 4 बजे मंदिर के पट खुलते ही जय-जय महालक्ष्मी मां की गूंज से परिसर गुूूंजा उठा।

महालक्ष्मी मंदिर

महालक्ष्मी मंदिर में दर्शन को लेकर भक्तों की भीड़ पट खुलने से पहले ही लग गई थी। इधर गुरुवार देर रात तक मंदिर में धन रखने की इच्छा से भक्त आते रहे, मगर जगह नहीं होने के कारण सभी को लौटा दिया गया।

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी महालक्ष्मी मंदिर को करोड़ों रुपए के हीरों-जवाहरातों, सोना-चांदी के आभूषणों व नकद राशि से सजायाा गया है।

सुबह 7.15 बजे एसडीएम सुनील झा ने आरती की, लेकिन अलसुबह मंदिर के पट खुलने के पहले ही दर्शन को लेकर भक्तों की भीड़ लग गई। कुबेर पोटली लेने के लिए महिलाओं की लाइन डालूमोदी बाजार, गणेश देवरी तक लग गई। सुबह से देर रात तक शुभ मुहूर्त में महिलाओं को कुबेर की पोटली का वितरण किया गया।

पोटली मे लक्ष्मीजी का फोटो, यंत्र व उनकी प्रिय वस्तुओं को रखा गया। रात्रि 9 से 10.30 बजे तक वितरण होने वाली कुबेर पोटली के लिए शाम 7 बजे से ही लाइन लगना शुरू हो गई। रात्रि 12 से 1.30 बजे के बीच भी पोटली का वितरण किया।

मंदिर में 50 रुपए से लेकर 1 हजार रुपए के नोटों के वंदनवार के साथ आकर्षक सज्जा की गई है तो गर्भ गृह में भी महालक्ष्मीजी की मूर्ति के आसपास हीरों-जवाहरातों, सोने-चांदी के नोट, सिल्लियां, नकद राशि से सजाया गया है।

धनतेरस को भी सैकड़ों की संख्या में मंदिर की सजावट को लेकर नकद राशि, आभूषण लेकर आते रहे हैं। लेकिन सामग्री लेने से मना कर दिया। पंडित संजय पुजारी का कहना था कि मंदिर में रखने को लेकर जगह बची नहीं है। इसलिए सामग्री नहीं ली गई।

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