महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने भंग किया खाद्य और पोषण बोर्ड

खाद्य एवं पोषण बोर्ड या एफएनबी को कृषि मंत्रालय के तहत शुरू किया गया था, लेकिन साल 1993 में इस बोर्ड को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को स्थानांतरित कर दिया गया था।

केंद्र सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर अपने खाद्य एवं पोषण बोर्ड को भंग कर दिया है। यह मंत्रालय की तकनीकी विंग थी, जिसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित था। खाद्य एवं पोषण बोर्ड के देश में कई स्थानों पर कार्यालय हैं, जिनमें फरीदाबाद, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई स्थित चार क्षेत्रीय कार्यालय और कई गुणवत्ता लेबोरेट्री भी शामिल हैं। मंत्रालय ने सोमवार को गजट नोटिफिकेशन जारी कर बोर्ड को भंग कर दिया।

सरकारी निकायों को सुव्यवस्थित और अधिक कुशल बनाने के चलते लिया फैसला
बीते साल 6 अप्रैल को कैबिनेट बैठक में बोर्ड को भंग करने का फैसला लिया गया था। मुख्य आर्थिक सलाहकार की नवंबर 2020 की रिपोर्ट में सरकारी निकायों को ज्यादा कुशल और व्यवस्थित बनाने के लिए कई सुझाव दिए गए थे। इन्हीं सुझावों के आधार पर सरकार ने बोर्ड को भंग करने का फैसला लिया था। साथ ही सरकार ने राष्ट्रीय महिला कोष और सेंट्रल सोशल वेलफेयर बोर्ड को भी भंग करने का फैसला किया गया। खाद्य एवं पोषण बोर्ड या एफएनबी को कृषि मंत्रालय के तहत शुरू किया गया था, लेकिन साल 1993 में इस बोर्ड को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को स्थानांतरित कर दिया गया था।

कर्मचारी और संपत्ति अन्य विभागों को हुई स्थानांतरित
एफएनबी के देशभर में 43 समुदायिक खाद्य एवं पोषण यूनिट्स हैं, जो देश में सामुदायिक पोषण कार्यक्रमों के लिए तकनीकी और रसद आपूर्ति का काम करता था। बोर्ड के कर्मचारियों की संख्या 147 है, जिनमें से 33 ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है। ग्रुप ए के तकनीकी अधिकारियों को राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान में प्रभार दिया गया है। वहीं ग्रुप बी के 61 और ग्रुप सी के तकनीकी स्टाफ को एफसीआई में डेप्युटेशन पर मानद प्रतिनियुक्त दी गई है। गैर तकनीकी 46 कर्मचारियों को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में ही स्थानांतरित किया गया है।

बोर्ड की विभिन्न शहरों में जो संपत्तियां हैं, उन्हें संपदा निदेशालय को सौंप दिया गया है। फरीदाबाद और चेन्नई की लेबोरेट्री एफसीआई को दे दी गई हैं। सरकार ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर 16 जून 2021 को ही एफएनबी के काम पर रोक लगा दी थी। बीते साल 30 नवंबर को बोर्ड को भंग करने का फैसला किया गया और 1 दिसंबर 2023 से बोर्ड ने काम करना बंद कर दिया था।

 

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