मुलायम को सेकुलर मोर्चा से लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहते हैं शिवपाल, इस सीट का ऑफर

उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे में सियासी खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है. समाजवादी पार्टी (सपा) से नाता तोड़कर समाजवादी सेकुलर मोर्चा का गठन करने वाले शिवपाल यादव ने सपा के संस्थापक और अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव को 2019 लोकसभा चुनाव में मैनपुरी से अपनी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ने का ऑफर दिया है. 

राजधानी लखनऊ में शनिवार को एक प्रेस वार्ता में शिवपाल यादव नें कहा, ”हम चाहते हैं कि आगामी आम चुनावों में मुलायम सिंह यादव हमारी पार्टी से चुनाव लड़ें. हमने पहले ही लोकसभा की 80 सीटों पर लड़ने का फैसला किया है और अब सपा के साथ किसी भी तरह के मेल-मिलाप के दरवाजे बंद हो चुके हैं.”

उन्होंने कहा कि हम अपने मोर्चे का विस्तार कर रहे हैं और दावा किया कि कई सपा नेता उनकी पार्टी में जल्द ही शामिल होंगे. शिवपाल ने कहा, हम जल्द ही समाजवादी सेकुलर मोर्चा को पंजीकृत कराने के लिए चुनाव आयोग से मिलेंगे और दावा किया कि उन्होंने सपा से अलग होने का फैसला मुलायम से परामर्श के बाद लिया है.  

शिवपाल ने भारतीय जनता पार्टी से किसी भी तरह की बातचीत से इनकार करने हुए कहा कि उनकी पार्टी छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन के लिए तैयार है.

बता दें कि शिवपाल यादव इटावा के जसवंत नगर से विधायक हैं, जिन्हें 2017 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से उनके भतीजे और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हटा दिया था.

समाजवादी सेकुलर मोर्चा के प्रवक्ता दीपक मिश्रा ने बताया कि पार्टी का हर कार्यकर्ता मुलायम सिंह यादव को मैनपुरी से चुनाव लड़ाने के लिए तैयार करेगा.

उल्लेखनीय है कि शिवपाल अपने राजनीतिक सफर में बड़े भाई मुलायम सिंह यादव की उंगली पकड़कर आगे बढ़े हैं. यही नहीं मुलायम सिंह यादव पहले भी कह चुके हैं कि उनकी राजनीति को आगे बढ़ाने और सपा को खड़ा करने में शिवपाल यादव का बड़ा योगदान रहा है.

यूपी में शिवपाल की अच्छी पकड़

गौरतलब है कि शिवपाल पहला चुनाव जिला सहकारी बैंक का लड़ा. 1993 में जिला सहकारी बैंक, इटावा के अध्यक्ष चुने गए.1995 से लेकर 1996 तक इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहें. इसी बीच 1994 से 1998 के अंतराल में उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के भी अध्यक्ष का दायित्व संभाला. इसके बाद जसवंत नगर से विधानसभा का चुनाव लड़ें और ऐतिहासिक मतों से जीते. इसके बाद मुलायम सरकार से लेकर अखिलेश सरकार में मंत्री रहे. 2007 से 2012 तक उन्होंने यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद भी संभाला.

अखिलेश और शिवपाल के बीच रिश्तों में खटास 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हुई. इसके बाद अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया था. इसके बाद चाचा-भतीजे के बीच संबंध इस कदर खराब हुए कि उन्होंने सपा से अलग समाजवादी सेकुलर मोर्चा बनाने का फैसला किया.

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com