ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक चल रही है। दूसरे दिन पिछड़ा आयोग पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हस्तक्षेप किया।
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पीएम ने कहा कि मुस्लिम समुदाय में भी जो पिछड़े हैं, उन्हें मुख्यधारा में शामिल करना जरूरी है। दूसरे दिन इस बात पर चर्चा हो रही है कि पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले नए बिल पर क्या रणनीति बनाई जाए।
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सरकार ने 1993 के कानून के तहत बने राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की योजना बनाई थी। इस बिल के जरिए संसद को यह अधिकार दिया गया था कि वह किसी भी समुदाय को पिछड़े की श्रेणी में रख सकता है।
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विधेयक लोक सभा से तो पास हो चुका है मगर राज्य सभा में मामला फंसा हुआ है जहां विपक्ष के पास संख्या-बल है। इससे पहले मोदी ने ऐतिहासिक पाइक विद्रोह के शहीदों के वंशजों की मौजूदा पीढ़ी से मुलाकात की। पाइक विद्रोहियों ने ओडिशा में 1817 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशक्त विद्रोह किया था।
मोदी ने राज्यपाल एस. सी. जमीर की मौजूदगी में राजभवन में स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के सदस्यों को सम्मानित किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “इतिहास को आज गर्व के साथ याद किया गया। शहीदों के वंशजों को देखना मेरे लिए सम्मान की बात है। दुर्भाग्य से कई वर्षो तक चला स्वतंत्रता आंदोलन कुछ व्यक्तियों और एक खास अवधि तक सीमित करके देखा गया।
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हमें उन घटनाओं और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने वाले लोगों को याद करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में ओडिशा ने बहुत बड़ा योगदान दिया है और इस मामले में उसका स्थान सबसे ऊपर है। स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासियों की भूमिका की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके योगदान को सामने लाने और याद रखने के लिए देश के 50 स्थानों पर आभाषी संग्रहालय स्थापित करने की दिशा में कदम उठाये जा रहे हैं।
राजभवन में आयोजित एक समारोह में उन्होंने कहा कि देश के स्वतंत्रता संघर्ष में अपना बलिदान देने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों की कहानी को सरकार वर्तमान और भावी पीढ़ी के समक्ष पेश करना चाहती है। स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को सम्मानित करने के बाद मोदी ने प्रसिद्ध लिंगराज मंदिर का दौरा भी किया। उन्होंने शनिवार को भुवनेश्वर में रोड शो भी किया।