मोदी सरकार के महात्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट्स पर विपक्षी दलों के हमलावर रुख के बीच 'मेट्रो मैन' ई श्रीधरन ने इसकी जरूरतों पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने भारतीय रेल की खस्ता हालत की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारत को एक सुरक्षित रेलवे सिस्टम की जरूरत है. अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में श्रीधरन ने कहा, ''बुलेट ट्रेन केवल कुलीन (एलीट) समुदाय की जरूरतों को पूरा करेगा. यह महंगा है और सामान्य लोगों की पहुंच से दूर है. भारत को आधुनिक, साफ, सुरक्षित और तेज रेलवे सिस्टम चाहिए.' आपको बता दें कि पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने अहमदाबाद-मुंबई हाई स्पीड (बुलेट) रेल लाइन की नींव रखी थी. इस प्रोजेक्ट पर 1.08 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इस महंगे मेट्रो प्रोजेक्ट्स का कांग्रेस, शिवसेना, मनसे समेत कई राजनीतिक दल विरोध कर रही है. कई किसान संगठन जमीन अधिग्रहण का भी विरोध कर रहे हैं. ट्रेनों की स्पीड घटी उन्होंने रेलवे में तेजी से बदलाव के दावों को इशारों-इशारों में खारिज किया. उन्होंने रेलवे में साफ सफाई, उसकी स्पीड पर खुलकर राय रखी. उन्होंने कहा, ''मैं नहीं मानता हूं कि रेलवे ने तेजी से विकास किया है. बायो टॉयलेट को छोड़ दिया जाए तो तकनीकी तौर पर कोई अपग्रेडेशन नहीं हुआ. ट्रेनों की स्पीड नहीं बढ़ी. सच्चाई है की अच्छी ट्रेनों की स्पीड घट गई है. ट्रेन समय पर चलने के मामले में स्थिति और खराब है. आधिकारिक तौर पर यह 70 प्रतिशत है लेकिन हकीकत में समय की पाबंदी 50 प्रतिशत से भी कम है.'' रेल हादसों का हाल पद्म पुरस्कार से सम्मानित श्रीधरन ने रेल हादसों में मौत पर कहा, ''दुर्घटना के आंकड़ों में कोई सुधार नहीं हुआ है. बहुत सारे लोगों की ट्रैक पर मौत हुई है. खासकर गांवों से गुजरने वाली रेलवे ट्रैक पर दुर्घटना अधिक हुई है. करीब 20,000 जानें सालाना रेलवे ट्रैक पर जाती हैं. मुझे लगता है भारतीय रेल व्यवस्था विकसित देशों की तुलना में करीब 20 साल पीछे है.'' दिल से जुड़ा है दिल्ली मेट्रो 86 साल के रिटायर्ड सिविल इंजीनियर ई श्रीधरन ने देश के विकास को लेकर कहा की मैं हमेशा से उत्सुक रहता हूं. उन्होंने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश की एक तिहाई जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है. राजनेता अपने राजनीतिक लक्ष्य को ज्यादा महत्व देते हैं और मूल्य और ईमानदारी को कम. सुधार की जरूरत है.'' दिल्ली मेट्रो के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाने वाले श्रीधरन ने कहा कि दिल्ली मेट्रो ने एक स्टैंडर्ड को तैयार किया, जिसके बाद से पूरे देश में मेट्रो को लेकर जबरदस्त बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि आज देश में 13 मेट्रो बन रहे हैं. 20 साल में दिल्ली मेट्रो की पहुंच 260 किलोमीटर तक हो जाएगी. जिस तरह से दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) अभी काम कर रही है वो वाकई गर्व की बात है.

मेट्रो मैन श्रीधरन ने कहा- देश को सुरक्षित रेल की जरूरत, बुलेट ट्रेन एलीट क्लास के लिए

मोदी सरकार के महात्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट्स पर विपक्षी दलों के हमलावर रुख के बीच ‘मेट्रो मैन’ ई श्रीधरन ने इसकी जरूरतों पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने भारतीय रेल की खस्ता हालत की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारत को एक सुरक्षित रेलवे सिस्टम की जरूरत है. अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में श्रीधरन ने कहा, ”बुलेट ट्रेन केवल कुलीन (एलीट) समुदाय की जरूरतों को पूरा करेगा. यह महंगा है और सामान्य लोगों की पहुंच से दूर है. भारत को आधुनिक, साफ, सुरक्षित और तेज रेलवे सिस्टम चाहिए.’मोदी सरकार के महात्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट्स पर विपक्षी दलों के हमलावर रुख के बीच 'मेट्रो मैन' ई श्रीधरन ने इसकी जरूरतों पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने भारतीय रेल की खस्ता हालत की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारत को एक सुरक्षित रेलवे सिस्टम की जरूरत है. अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में श्रीधरन ने कहा, ''बुलेट ट्रेन केवल कुलीन (एलीट) समुदाय की जरूरतों को पूरा करेगा. यह महंगा है और सामान्य लोगों की पहुंच से दूर है. भारत को आधुनिक, साफ, सुरक्षित और तेज रेलवे सिस्टम चाहिए.'   आपको बता दें कि पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने अहमदाबाद-मुंबई हाई स्पीड (बुलेट) रेल लाइन की नींव रखी थी. इस प्रोजेक्ट पर 1.08 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इस महंगे मेट्रो प्रोजेक्ट्स का कांग्रेस, शिवसेना, मनसे समेत कई राजनीतिक दल विरोध कर रही है. कई किसान संगठन जमीन अधिग्रहण का भी विरोध कर रहे हैं.   ट्रेनों की स्पीड घटी उन्होंने रेलवे में तेजी से बदलाव के दावों को इशारों-इशारों में खारिज किया. उन्होंने रेलवे में साफ सफाई, उसकी स्पीड पर खुलकर राय रखी. उन्होंने कहा, ''मैं नहीं मानता हूं कि रेलवे ने तेजी से विकास किया है. बायो टॉयलेट को छोड़ दिया जाए तो तकनीकी तौर पर कोई अपग्रेडेशन नहीं हुआ. ट्रेनों की स्पीड नहीं बढ़ी. सच्चाई है की अच्छी ट्रेनों की स्पीड घट गई है. ट्रेन समय पर चलने के मामले में स्थिति और खराब है. आधिकारिक तौर पर यह 70 प्रतिशत है लेकिन हकीकत में समय की पाबंदी 50 प्रतिशत से भी कम है.''   रेल हादसों का हाल पद्म पुरस्कार से सम्मानित श्रीधरन ने रेल हादसों में मौत पर कहा, ''दुर्घटना के आंकड़ों में कोई सुधार नहीं हुआ है. बहुत सारे लोगों की ट्रैक पर मौत हुई है. खासकर गांवों से गुजरने वाली रेलवे ट्रैक पर दुर्घटना अधिक हुई है. करीब 20,000 जानें सालाना रेलवे ट्रैक पर जाती हैं. मुझे लगता है भारतीय रेल व्यवस्था विकसित देशों की तुलना में करीब 20 साल पीछे है.''   दिल से जुड़ा है दिल्ली मेट्रो 86 साल के रिटायर्ड सिविल इंजीनियर ई श्रीधरन ने देश के विकास को लेकर कहा की मैं हमेशा से उत्सुक रहता हूं. उन्होंने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश की एक तिहाई जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है. राजनेता अपने राजनीतिक लक्ष्य को ज्यादा महत्व देते हैं और मूल्य और ईमानदारी को कम. सुधार की जरूरत है.''   दिल्ली मेट्रो के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाने वाले श्रीधरन ने कहा कि दिल्ली मेट्रो ने एक स्टैंडर्ड को तैयार किया, जिसके बाद से पूरे देश में मेट्रो को लेकर जबरदस्त बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि आज देश में 13 मेट्रो बन रहे हैं. 20 साल में दिल्ली मेट्रो की पहुंच 260 किलोमीटर तक हो जाएगी. जिस तरह से दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) अभी काम कर रही है वो वाकई गर्व की बात है.

आपको बता दें कि पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने अहमदाबाद-मुंबई हाई स्पीड (बुलेट) रेल लाइन की नींव रखी थी. इस प्रोजेक्ट पर 1.08 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इस महंगे मेट्रो प्रोजेक्ट्स का कांग्रेस, शिवसेना, मनसे समेत कई राजनीतिक दल विरोध कर रही है. कई किसान संगठन जमीन अधिग्रहण का भी विरोध कर रहे हैं.

ट्रेनों की स्पीड घटी
उन्होंने रेलवे में तेजी से बदलाव के दावों को इशारों-इशारों में खारिज किया. उन्होंने रेलवे में साफ सफाई, उसकी स्पीड पर खुलकर राय रखी. उन्होंने कहा, ”मैं नहीं मानता हूं कि रेलवे ने तेजी से विकास किया है. बायो टॉयलेट को छोड़ दिया जाए तो तकनीकी तौर पर कोई अपग्रेडेशन नहीं हुआ. ट्रेनों की स्पीड नहीं बढ़ी. सच्चाई है की अच्छी ट्रेनों की स्पीड घट गई है. ट्रेन समय पर चलने के मामले में स्थिति और खराब है. आधिकारिक तौर पर यह 70 प्रतिशत है लेकिन हकीकत में समय की पाबंदी 50 प्रतिशत से भी कम है.”

रेल हादसों का हाल
पद्म पुरस्कार से सम्मानित श्रीधरन ने रेल हादसों में मौत पर कहा, ”दुर्घटना के आंकड़ों में कोई सुधार नहीं हुआ है. बहुत सारे लोगों की ट्रैक पर मौत हुई है. खासकर गांवों से गुजरने वाली रेलवे ट्रैक पर दुर्घटना अधिक हुई है. करीब 20,000 जानें सालाना रेलवे ट्रैक पर जाती हैं. मुझे लगता है भारतीय रेल व्यवस्था विकसित देशों की तुलना में करीब 20 साल पीछे है.”

दिल से जुड़ा है दिल्ली मेट्रो
86 साल के रिटायर्ड सिविल इंजीनियर ई श्रीधरन ने देश के विकास को लेकर कहा की मैं हमेशा से उत्सुक रहता हूं. उन्होंने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश की एक तिहाई जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है. राजनेता अपने राजनीतिक लक्ष्य को ज्यादा महत्व देते हैं और मूल्य और ईमानदारी को कम. सुधार की जरूरत है.”

दिल्ली मेट्रो के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाने वाले श्रीधरन ने कहा कि दिल्ली मेट्रो ने एक स्टैंडर्ड को तैयार किया, जिसके बाद से पूरे देश में मेट्रो को लेकर जबरदस्त बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि आज देश में 13 मेट्रो बन रहे हैं. 20 साल में दिल्ली मेट्रो की पहुंच 260 किलोमीटर तक हो जाएगी. जिस तरह से दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) अभी काम कर रही है वो वाकई गर्व की बात है.

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