मैक्स और फोर्टिस के बाद अब राजधानी के एक और बड़े अस्पताल पर गंभीर आरोप लगे हैं। पांच साल की बच्ची के पिता ने बीएलके सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही बरतने के आरोप लगाते हुए उन्हें संक्रमण से हुई बेटी की मौत का जिम्मेदार ठहराया है।
उनका कहना है कि बच्ची को बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए भर्ती किया गया था। अस्पताल ने बच्ची की शिकायतों पर गौर नहीं किया, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई। उधर, अस्पताल प्रबंधन ने किसी भी तरह की लापरवाही से इंकार किया है। उसका कहना है कि संक्रमण मरीज के पेट से ही उत्पन्न हुआ था।
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मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी कम हो गई थी कि वह दवाओं के बाद भी संक्रमण से नहीं जीत सकी। पिता का कहना है कि पहले तो डॉक्टरों ने बेटी को संक्रमण होने की बात कही, लेकिन परिजनों ने सवाल जवाब शुरू किए तो चुप्पी साध ली।
वे पूछते रहे कि क्या वे ऑपरेशन करने में सक्षम हैं। पिता के मुताबिक, उन्होंने हमें आश्वस्त किया। बेटी की मृत्यु के बाद जब उन्होंने डॉक्टरों से पूछा कि उन्होंने क्या ऑपरेशन किया था? तो डॉक्टरों ने कह दिया कि वे ऑपरेशन के बारे में नहीं बता सकते।
डिस्रेथ्रोपोएटिक एनीमिया नामक बीमारी से ग्रस्त 5 साल की दीवा गर्ग 31 अक्तूबर को बीएलके अस्पताल में भर्ती हुई थी। दीवा के पिता नीरज गर्ग का कहना है कि शुरुआत में डॉक्टरों ने चिंता नहीं करने की बात कहते हुए उपचार करने और बच्ची की जान बचाने का आश्वासन दिया था।
डॉक्टरों ने कहा था कि लड़की के लिए एक मैच भी मिला है। इसके बाद दीवा को एक वार्ड में भर्ती किया गया, जहां उसकी मां को ही साथ रहने की अनुमति थी। उसे 25 दिन भर्ती रखा गया। 11 नवंबर को बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सर्जरी की गई।
13 नवंबर को बच्ची को बुखार आया, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि कोई समस्या नहीं है। 22 नवंबर को दीवा ने सिरदर्द और सांस लेने में परेशानी होने की बात की। इस पर डॉक्टरों ने संज्ञान नहीं दिया।
स्थिति यह हो गई कि अगले दिन दिवा को आईसीयू में भर्ती करना पड़ा। बावजूद इसके डॉक्टरों ने परिजनों से वास्तविकता को छिपाया। नीरज ने बताया कि 25 नवंबर को उनकी बेटी इस दुनिया से चली गई।