इस वक्त देश में जितनी भी छोटी-बड़ी पार्टियां हैं उन्हें पता है कि वो अकेले अपने दम पर ना तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला कर सकते हैं और ना ही भारतीय जनता पार्टी का। ऐसे में एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ तीसरे मोर्चे की लामबंदी शुरु हो गई है। माना जा रहा है कि इस बार तीसरे मोर्चे की अगुवाई पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी और बीएसपी सुप्रीमो मायावती कर सकती हैं। अभी हाल ही में मायावती ने इस बात के संकेत भी दिए थे कि बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकने के लिए किसी भी दल से हाथ मिलाने को तैयार हैं। ऐसे में माना जा रहा था कि मायावती मुलायम सिंह यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी के साथ जाने से भी परहेज नहीं करेंगी।

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उधर, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी यही चाहते हैं कि बीजेपी और मोदी के खिलाफ महागठबंधन हो जाए। लेकिन, मुलायम सिंह यादव इस वक्त मोदी के हनुमान की भूमिका में नजर आ रहे हैं। उन्होंने अखिलेश यादव की इस मंशा पर पूरी तरह पानी फेर दिया है और कह दिया है कि उन्हें ना तो बीएसपी से गठबंधन मंजूर है और ना ही कांग्रेस से। जबकि समाजवादी पार्टी का कांग्रेस से अभी गठबंधन बना हुआ है। हालांकि विधानसभा चुनाव के दौरान हुए इस गठबंधन को भी मुलायम सिंह यादव ने अपनी मंजूरी नहीं दी थी। मुलायम सिंह यादव का कहना है कि समाजवादी पार्टी अकेले ही सक्षम है। उधर, राजनीति के जानकारों को उनके इस फैसले में दूरगामी परिणाम नजर आ रहे हैं।
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