युवाओं को ड्रग एडिक्ट बनाने के लिए दवा के नाम पर मादक पदार्थों का चल रहा था कारोबार

एक समय पंजाब में युवाओं में ड्रग एडिक्शन इस कदर फैला था कि फिल्म इंडस्ट्री ने उड़ता पंजाब फिल्म बनाकर सामाजिक तंत्र तक सच्चाई पहुंचाने का प्रयास किया। शहीद कपूर अभिनीत  फिल्म में पंजाब में युवाओं में नशीली दवाओं और ड्रग्स एडिक्शन से जुड़े पलहू को उठाया गया है। अगर समय रहते यूपी पुलिस ने चेत जाती तो ड्रग रैकेट का डॉन बच्चा कानपुर को भी उड़ता पंजाब बनाने में देर नहीं लगाता। ‘एकाग्र मन की दवा’ के आर्डर लेकर ड्रग्स की डिलीवरी कराने वाले इस बच्चा के चार गुर्गों को पुलिस ने गिरफ्तार करके करीब डेढ़ करोड़ का मादक पदार्थ बरामद किया तो सबके हाेश उड़ गए।

काकादेव मंडी के युवाओं को बना रहा था एडिक्ट

शहर काकादेव काेचिंग मंडी में आसपास जनपदों ही नहीं बल्कि दूसरे प्रांतों से युवा इंजीनियरिंग समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं और किराये का कमरा या हॉस्टल लेकर रहते हैं। ड्रग माफिया ने इस इलाके को सबसे मुफीद माना और यहां आने युवाओं को नशे की लत लगवाकर अपना कारोबार बढ़ाना शुरू कर दिया था। यहां से पूरे कानपुर में युवाओं तक नशे की लत का सामान डिलीवर किया जा रहा था। इसी कोचिंग मंडी की कुछ दुकानों से मादक पदार्थों की बिक्री दिन-रात हो रही थी।

एकाग्र मन की दवा के ऑर्डर पर चरस-गांजा की डिलीवरी

ड्रग्स माफिया और हिस्ट्रीशीटर सुशील शर्मा उर्फ बच्चा अपने गुर्गों के जरिए चरस, गांजे और स्मैक की बिक्री ऑनलाइन आर्डर लेकर कराता था। इसके लिए गुर्गों ने कोचिंग मंडी और ढाबों के आसपास की दुकानों तक में वाट्सएप नंबर दिए थे, कोडवर्ड से आर्डर लिए जाते थे। एकाग्र मन की दवा…लिखकर आए या ऐसा ही कुछ और सांकेतिक, बस चरस-गांजा की सप्लाई कर दी जाती थी। पुलिस को बच्चा के करीब दो दर्जन अन्य साथियों का भी पता लगा है, उनकी तलाश जारी है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक कोचिंग मंडी की दुकानों पर कोडवर्ड में मादक पदार्थों की बिक्री होने की जानकारी लिखी जाती थी। दो-तीन वाट्सएप नंबर और वेबसाइट का नाम लिखा होता था। बाहरी जिलों से आकर रहने वाले छात्रों को गांजे व चरस से तनाव दूर करने का जरिया बताकर ग्राहक बनाया जाता था। 50 से 100 रुपये की छोटी पुडिय़ा देकर उन्हें नशे का लती बनाया जा रहा था।

इस तरह हाथ आया गिरोह 

पिछले दिनों सीसामऊ पुलिस ने चरस तस्कर मुखिया को गिरफ्तार किया था। सीओ त्रिपुरारी पांडेय ने उससे पूछताछ में शास्त्रीनगर चौकी से 400 मीटर दूर रहने वाला हिस्ट्रीशीटर सुशील शर्मा उर्फ बच्चा व उसके भाई बउवा को सबसे बड़ा तस्कर बताया था। एसएसपी डॉ. प्रीतिंदर सिंह के निर्देश पर एसपी पश्चिम डॉ. अनिल कुमार ने सीओ के निर्देशन में टीम बनाई। पुलिस टीम तीन दिन तक सादे कपड़ों में सुशील के काली मठिया के पास स्थित घर और विजयनगर आंबेडकरनगर स्थित बंगले के आसपास रेकी कराई गई। बुधवार रात टीम ने गिरोह के चार गुर्गे आंबेडकरनगर निवासी ऋषभ सिंह, मुकेश शुक्ला, अर्मापुर निवासी निसार अहमद व फजलगंज निवासी गोलू बाघमार को गिरफ्तार कर लेकिन सुशील और बउआ फरार हो गया।

नेपाल व पश्चिम बंगाल से आता है मादक पदार्थ

पूछताछ में सामने आया सुशील नेपाल से चरस और पश्चिम बंगाल व उड़ीसा से गांजे व स्मैक की खेप मंगवा रहा है। पकड़े गए ऋषभ ने बताया कि वह खुद ही ट्रकों व ट्रेनों के जरिए कई बार चरस कानपुर ला चुका है। ड्रग रैकटे के चार गुर्गों की गिरफ्तारी के साथ पुलिस ने साढ़े 27 किलो गांजा, तीन किलो चरस, 700 ग्राम स्मैक सहित भारी मात्रा में मादक सामग्री के साथ नौ मोबाइल फोन, स्कूटी व बाइक और करीब 11.15 लाख रुपये बरामद किए हैं। सीओ त्रिपुरारी पांडेय ने बताया कि बच्चा के गिरफ्तार साथियों के मोबाइल फोन से कई वाट्सएप नंबरों की जानकारी मिली है। ऋषभ व गोलू काकादेव में ऑनलाइन व्यापार का सिंडिकेट चलवा रहे थे और मादक पदार्थों की डिलीवरी के लिए किशोरों और महिलाओं का सहारा लेते थे।

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