हर महीने की एकादशी कुछ ना कुछ खास लेकर आती है. एकादशी के व्रत को कई लोग महत्वपूर्ण मानते हैं और इस दिन व्रत कर के अपनी मनोकामना पूरी करते हैं. वैसे ही इस महीने की एकादशी है योगिनी एकादशी जो 9 जुलाई 2018 की है. हिन्दू पंचांग की बात करें तो योगिनी एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को आती है जिसका महत्व पद्मपुराण में बताया गया है. आइये जानते हैं क्या महत्व है इस एकादशी का और कैसे करते हैं इसका पूजन. दरअसल, योगिनी एकादशी की देव शयनी एकादशी भी कहते हैं जिसमें भगवान विष्णु 4 माह के लिए विश्राम पर चले जाते हैं. इस बीच कोई भी शुभ कार्य नहीं किये जाते और 4 माह के लिए टाल दिए जाते हैं. इसी के साथ आपको बता देते हैं इस एकादशी का क्या महत्व होता है. अगर आप इस एकादशी का व्रत करते हैं तो ये आपको 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है. इसे करने से आपके पाप मिटते हैं और अंत में आप स्वर्ग को जाते हैं. इस व्रत को करने से आपकी सभी परेशानी दूर होंगी और पितरों की ओर से आशीर्वाद मिलेगा. इसलिए ये व्रत बहुत खास होता है जो आपके लिए बहुत फायेमंद हो सकता है. इसके बाद बता देते हैं इस व्रत को करने की विधि क्या है. एकादशी के दिन सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लेते हैं. स्नान करते समय अगर आप मिट्टी का उपयोग करते हैं तो ये शुभ माना जाता है. घर को शुद्ध कर आप कुम्भ बना कर उस पर भगवान विष्णु की फोटो रखें और पूजन करें. इसके बाद दिनभर आप भगवान विष्णु का नाम ले सकते हैं और उनकी आराधना कर सकते हैं. रात्रि के समय जागरण भी किया जाता है. दशमी की रात्रि से ही आपको नामक का त्याग कर देना चाहिए और द्वादशी तक इसका सेवन नहीं करना चाहिए. तभी ये व्रत आपको फल प्रदान करेगा.

योगिनी एकादशी करने का ये है खास महत्व

हर महीने की एकादशी कुछ ना कुछ खास लेकर आती है. एकादशी के व्रत को कई लोग महत्वपूर्ण मानते हैं और इस दिन व्रत कर के अपनी मनोकामना पूरी करते हैं. वैसे ही इस महीने की एकादशी है योगिनी एकादशी जो 9 जुलाई 2018 की है. हिन्दू पंचांग की बात करें तो योगिनी एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को आती है जिसका महत्व पद्मपुराण में बताया गया है. आइये जानते हैं क्या महत्व है इस एकादशी का और कैसे करते हैं इसका पूजन.हर महीने की एकादशी कुछ ना कुछ खास लेकर आती है. एकादशी के व्रत को कई लोग महत्वपूर्ण मानते हैं और इस दिन व्रत कर के अपनी मनोकामना पूरी करते हैं. वैसे ही इस महीने की एकादशी है योगिनी एकादशी जो 9 जुलाई 2018 की है. हिन्दू पंचांग की बात करें तो योगिनी एकादशी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को आती है जिसका महत्व पद्मपुराण में बताया गया है. आइये जानते हैं क्या महत्व है इस एकादशी का और कैसे करते हैं इसका पूजन.  दरअसल, योगिनी एकादशी की देव शयनी एकादशी भी कहते हैं जिसमें भगवान विष्णु 4 माह के लिए विश्राम पर चले जाते हैं. इस बीच कोई भी शुभ कार्य नहीं किये जाते और 4 माह के लिए टाल दिए जाते हैं. इसी के साथ आपको बता देते हैं इस एकादशी का क्या महत्व होता है. अगर आप इस एकादशी का व्रत करते हैं तो ये आपको 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है. इसे करने से आपके पाप मिटते हैं और अंत में आप स्वर्ग को जाते हैं. इस व्रत को करने से आपकी सभी परेशानी दूर होंगी और पितरों की ओर से आशीर्वाद मिलेगा. इसलिए ये व्रत बहुत खास होता है जो आपके लिए बहुत फायेमंद हो सकता है.     इसके बाद बता देते हैं इस व्रत को करने की विधि क्या है. एकादशी के दिन सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लेते हैं. स्नान करते समय अगर आप मिट्टी का उपयोग करते हैं तो ये शुभ माना जाता है. घर को शुद्ध कर आप कुम्भ बना कर उस पर भगवान विष्णु की फोटो रखें और पूजन करें. इसके बाद दिनभर आप भगवान विष्णु का नाम ले सकते हैं और उनकी आराधना कर सकते हैं. रात्रि के समय जागरण भी किया जाता है. दशमी की रात्रि से ही आपको नामक का त्याग कर देना चाहिए और द्वादशी तक इसका सेवन नहीं करना चाहिए. तभी ये व्रत आपको फल प्रदान करेगा.

दरअसल, योगिनी एकादशी की देव शयनी एकादशी भी कहते हैं जिसमें भगवान विष्णु 4 माह के लिए विश्राम पर चले जाते हैं. इस बीच कोई भी शुभ कार्य नहीं किये जाते और 4 माह के लिए टाल दिए जाते हैं. इसी के साथ आपको बता देते हैं इस एकादशी का क्या महत्व होता है. अगर आप इस एकादशी का व्रत करते हैं तो ये आपको 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है. इसे करने से आपके पाप मिटते हैं और अंत में आप स्वर्ग को जाते हैं. इस व्रत को करने से आपकी सभी परेशानी दूर होंगी और पितरों की ओर से आशीर्वाद मिलेगा. इसलिए ये व्रत बहुत खास होता है जो आपके लिए बहुत फायेमंद हो सकता है.

इसके बाद बता देते हैं इस व्रत को करने की विधि क्या है. एकादशी के दिन सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लेते हैं. स्नान करते समय अगर आप मिट्टी का उपयोग करते हैं तो ये शुभ माना जाता है. घर को शुद्ध कर आप कुम्भ बना कर उस पर भगवान विष्णु की फोटो रखें और पूजन करें. इसके बाद दिनभर आप भगवान विष्णु का नाम ले सकते हैं और उनकी आराधना कर सकते हैं. रात्रि के समय जागरण भी किया जाता है. दशमी की रात्रि से ही आपको नामक का त्याग कर देना चाहिए और द्वादशी तक इसका सेवन नहीं करना चाहिए. तभी ये व्रत आपको फल प्रदान करेगा.

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