रामलला की प्राणप्रतिष्ठा: अयोध्या में लंगर लगाएंगे निहंग सिंह

अयोध्या में 22 जनवरी, 2024 को भगवान श्री राम की मूर्ति स्थापना के मौके पर पंजाब से निहंग बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर के नेतृत्व में निहंग सिंहों का जत्था वहां श्रद्धालुओं के लिए लंगर का आयोजन करेगा। यह एलान निहंग बाबा फकीर सिंह के आठवें वंशज जत्थेदार बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर ने किया।

श्री राम के प्रति हमारी भी श्रद्धा

चंडीगढ़ प्रेस क्लब में उन्होंने कहा कि अपने पूर्वजों की तरह ही भगवान श्री राम के प्रति वह भी सच्ची श्रद्धा व आस्था रखते हैं। यही कारण है कि उन्होंने 22 जनवरी, 2024 को श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर तय किया है कि वे निहंग सिंहों के साथ अयोध्या में लंगर लगाकर देश-विदेश से आने वाली संगत की सेवा करेंगे।

बाबरी मस्जिद पर सबसे पहले निहंगों ने कब्जा किया

श्री राम के प्रति निहंग सिंहों की श्रद्धा का जिक्र करते हुए बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर ने कहा कि बाबरी मस्जिद पर सबसे पहले निहंग सिंहों ने ही कब्जा किया था। उन्होंने कहा कि नवंबर 1858 में निहंग बाबा फकीर सिंह के नेतृत्व में 25 निहंग सिंहों ने बाबरी मस्जिद पर कब्जा कर उसमें हवन किया और साथ ही दीवारों पर राम-राम लिखते हुए भगवा ध्वज फहरा दिया था। इसके बाद उन 25 निहंग सिंहों के खिलाफ बाबरी मस्जिद के तत्कालीन मुअज्जिम (मस्जिद अधिकारी) की शिकायत पर अवध के थानेदार ने 30 नवंबर, 1858 को एफआईआर दर्ज की। उन्होंने बताया कि इस मामले में निहंग सिखों पर दर्ज एफआईआर में लिखा गया था कि निहंग सिख बाबरी मस्जिद में घुस गए और वहां राम नाम के साथ हवन कर रहे हैं। इस मामले में निहंग बाबा फकीर सिंह के विरुद्ध भी केस दर्ज हुआ था।

सनातन हिंदू धर्म का अभिन्न अंग है सिख धर्म

उन्होंने कहा कि सिख पंथ को हिंदू धर्म से अलग करके देखने वाले कट्टरपंथियों को जानना चाहिए कि राम मंदिर के लिए पहली एफआईआर हिंदुओं के खिलाफ नहीं, बल्कि सिखों के खिलाफ हुई थी। उन्होंने कहा कि सिख पंथ ही सनातन हिंदू धर्म संस्कृति का अभिन्न अंग और धर्म रक्षक योद्धा हैं। उन्होंने आगे कहा कि उनका किसी भी राजनीतिक दल के साथ संबंध नहीं है। वह केवल सनातन परंपराओं के वाहक हैं। वह कई बार अयोध्या भी जा चुके हैं। अब उन्होंने 22 जनवरी को मूर्ति स्थापना के अवसर पर अयोध्या में लंगर लगाने का फैसला किया है।

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