राष्ट्रपति चुनाव ने महाराष्ट्र का राजनीतिक समीकरण ही बदल कर रख दिया है। जुलाई महीने में राजनीतिक भूकंप आने की चेतावनी देने वाली शिवसेना भी इससे सकते में है। वहीं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने चुटकी ली है कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है। कोई राजनीतिक भूकंप नहीं आने वाला है। यदि कोई खतरा आता भी है तो अदृश्य हाथ (कांग्रेस) उनका साथ देंगे।JDU ने कहा- अब महागठबंधन को बचाए रखने की जिम्मेदारी तीनों पार्टियों की होगी…
महाराष्ट्र और केंद्र सरकार की सरकार में रहकर लगातार भाजपा को कोसने वाली शिवसेना ने जुलाई महीने में राजनीतिक भूकंप आने की चेतावनी दी थी। पिछले महीने शिवसेना प्रवक्ता व सांसद संजय राउत ने कहा था कि शिव सैनिक तैयार रहें। जुलाई महीने में भूकंप आना तय है। इससे माना जा रहा था कि शिवसेना महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार से समर्थन वापस ले सकती है।
लेकिन, राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को मिले 208 वोट से फडणवीस सरकार ने राहत की सांस ली है। महाराष्ट्र में कुल 288 विधायक हैं। भाजपा को बहुमत के लिए 145 विधायकों की जरूरत है। जिसमें बीजेपी के 122 विधायक हैं, जबकि शिवसेना के विधायकों की संख्या 63 है।
बहुमत के आंकड़े से दूर रहने के कारण बीजेपी को शिवसेना के समर्थन से गठबंधन सरकार बनानी पड़ी है। लेकिन, राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद को मिले वोट में से यदि शिवसेना के 63 वोट निकाल दिए जाएं तो भाजपा के पास बहुमत के लिए 145 का जादुई आंकड़ा मौजूद है। इसको देखते हुए शिवसेना के राजनीतिक भूकंप की भविष्यवाणी कोरी साबित हो सकती है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की चुटकी पर शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि अदृश्य हाथ दोनो तरफ होते हैं। केवल सत्ता की कुर्सी पर बैठे हुए लोगों के पास ही अदृश्य हाथ नहीं होते हैं। राउत ने कहा कि देश की राजनीति को कई बार इन्हीं अदृश्य हाथों ने ही चलाया है। दिल्ली में जब कांग्रेस की अल्पमत की सरकार थी और महाराष्ट्र में जब शरद पवार की अल्पमत की सरकार थी तब इन्हीं अदृश्य हाथ ने मदद की थी।