आरएसएस द्वारा मानहानि के एक और मामले में फंसने से राहुल गांधी बाल-बाल बचे हैं. कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल ने कहा था कि बीजेपी सरकारें सरकारी खजाने यानी जनता का धन चुराकर आरएसएस को सौंप रही हैं. लेकिन कांग्रेस ने तत्काल इस बयान की गंभीरता को समझते हुए इसके वीडियो लिंक को सोशल मीडिया से हटा लिया. रविवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था, 'बीजेपी सरकारें सरकारी खजाने से पैसा चुराकर इसे आरएसएस की सैकड़ों संस्थाओं को दे रही हैं.' राहुल के भाषण को कांग्रेस के ट्विटर और यूट्यूब अकाउंट पर भी शेयर किया गया था, लेकिन कुछ ही मिनटों के बाद इसे हटा लिया गया. राहुल के बयान निश्चित रूप से बीजेपी और आरएसएस को काफी भड़काने वाले थे और इससे वह फिर से एक मानहानि के मामले में फंस सकते थे. राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी जब भी सत्ता में आती है, तो तमाम राज्यों में आरएसएस से जुड़ी हजारों संस्थाएं पनप जाती हैं. अपने भाषण में राहुल गांधी ने आरएसएस और बीजेपी की आलोचना तो की, लेकिन साथ ही, कांग्रेस नेताओं से यह भी कहा कि इन दोनों संस्थाओं से सीख भी लेनी चाहिए. राहुल गांधी ने बीजेपी शासित मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ राज्य का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया था कि यहां की राज्य सरकारें सरकारी खजाने का पैसा चोरी से शिशु मंदिर स्कूलों सहित आरएसएस की तमाम संस्थाओं को दान कर रही हैं. आरएसएस की सैकड़ों ऐसी संस्थाएं बीजेपी सरकारों द्वारा चुराए गए सरकारी धन से चल रही हैं. राहुल गांधी ने यह भी कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बीजेपी और आरएसएस से यह सीखना चाहिए कि समाज के विभिन्न वर्गों को अपने साथ कैसे जोड़ें. गौरतलब है कि राहुल गांधी पहले से ही भिवंडी महाराष्ट्र में आरएसएस की एक संस्था द्वारा किए गए मानहानि केस का सामना कर रहे हैं. उन्होंने 6 मार्च, 2014 की एक रैली में आरोप लगाया था कि महात्मा गांधी की हत्या आरएसएस के लोगों ने की थी. इसी भाषण पर उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया गया. कांग्रेस शायद यह नहीं चाहती थी कि अब राहुल गांधी फिर से किसी नए मुकदमे में फंसें, इसलिए उनके भाषण का वीडियो सोशल मीडिया से तत्काल हटा लिया गया

राहुल बोले- सरकारी पैसा चुराकर RSS को देती है BJP, बाद में कांग्रेस ने डिलीट किया वीडियो

आरएसएस द्वारा मानहानि के एक और मामले में फंसने से राहुल गांधी बाल-बाल बचे हैं. कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल ने कहा था कि बीजेपी सरकारें सरकारी खजाने यानी जनता का धन चुराकर आरएसएस को सौंप रही हैं. लेकिन कांग्रेस ने तत्काल इस बयान की गंभीरता को समझते हुए इसके वीडियो लिंक को सोशल मीडिया से हटा लिया. आरएसएस द्वारा मानहानि के एक और मामले में फंसने से राहुल गांधी बाल-बाल बचे हैं. कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल ने कहा था कि बीजेपी सरकारें सरकारी खजाने यानी जनता का धन चुराकर आरएसएस को सौंप रही हैं. लेकिन कांग्रेस ने तत्काल इस बयान की गंभीरता को समझते हुए इसके वीडियो लिंक को सोशल मीडिया से हटा लिया.  रविवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था, 'बीजेपी सरकारें सरकारी खजाने से पैसा चुराकर इसे आरएसएस की सैकड़ों संस्थाओं को दे रही हैं.' राहुल के भाषण को कांग्रेस के ट्विटर और यूट्यूब अकाउंट पर भी शेयर किया गया था, लेकिन कुछ ही मिनटों के बाद इसे हटा लिया गया.  राहुल के बयान निश्चित रूप से बीजेपी और आरएसएस को काफी भड़काने वाले थे और इससे वह फिर से एक मानहानि के मामले में फंस सकते थे. राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी जब भी सत्ता में आती है, तो तमाम राज्यों में आरएसएस से जुड़ी हजारों संस्थाएं पनप जाती हैं.  अपने भाषण में राहुल गांधी ने आरएसएस और बीजेपी की आलोचना तो की, लेकिन साथ ही, कांग्रेस नेताओं से यह भी कहा कि इन दोनों संस्थाओं से सीख भी लेनी चाहिए.  राहुल गांधी ने बीजेपी शासित मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ राज्य का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया था कि यहां की राज्य सरकारें सरकारी खजाने का पैसा चोरी से शिशु मंदिर स्कूलों सहित आरएसएस की तमाम संस्थाओं को दान कर रही हैं. आरएसएस की सैकड़ों ऐसी संस्थाएं बीजेपी सरकारों द्वारा चुराए गए सरकारी धन से चल रही हैं.  राहुल गांधी ने यह भी कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बीजेपी और आरएसएस से यह सीखना चाहिए कि समाज के विभिन्न वर्गों को अपने साथ कैसे जोड़ें.  गौरतलब है कि राहुल गांधी पहले से ही भिवंडी महाराष्ट्र में आरएसएस की एक संस्था द्वारा किए गए मानहानि केस का सामना कर रहे हैं. उन्होंने 6 मार्च, 2014 की एक रैली में आरोप लगाया था कि महात्मा गांधी की हत्या आरएसएस के लोगों ने की थी. इसी भाषण पर उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया गया.  कांग्रेस शायद यह नहीं चाहती थी कि अब राहुल गांधी फिर से किसी नए मुकदमे में फंसें, इसलिए उनके भाषण का वीडियो सोशल मीडिया से तत्काल हटा लिया गया

रविवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था, ‘बीजेपी सरकारें सरकारी खजाने से पैसा चुराकर इसे आरएसएस की सैकड़ों संस्थाओं को दे रही हैं.’ राहुल के भाषण को कांग्रेस के ट्विटर और यूट्यूब अकाउंट पर भी शेयर किया गया था, लेकिन कुछ ही मिनटों के बाद इसे हटा लिया गया.

राहुल के बयान निश्चित रूप से बीजेपी और आरएसएस को काफी भड़काने वाले थे और इससे वह फिर से एक मानहानि के मामले में फंस सकते थे. राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी जब भी सत्ता में आती है, तो तमाम राज्यों में आरएसएस से जुड़ी हजारों संस्थाएं पनप जाती हैं.

अपने भाषण में राहुल गांधी ने आरएसएस और बीजेपी की आलोचना तो की, लेकिन साथ ही, कांग्रेस नेताओं से यह भी कहा कि इन दोनों संस्थाओं से सीख भी लेनी चाहिए.

राहुल गांधी ने बीजेपी शासित मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ राज्य का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया था कि यहां की राज्य सरकारें सरकारी खजाने का पैसा चोरी से शिशु मंदिर स्कूलों सहित आरएसएस की तमाम संस्थाओं को दान कर रही हैं. आरएसएस की सैकड़ों ऐसी संस्थाएं बीजेपी सरकारों द्वारा चुराए गए सरकारी धन से चल रही हैं.

राहुल गांधी ने यह भी कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बीजेपी और आरएसएस से यह सीखना चाहिए कि समाज के विभिन्न वर्गों को अपने साथ कैसे जोड़ें.

गौरतलब है कि राहुल गांधी पहले से ही भिवंडी महाराष्ट्र में आरएसएस की एक संस्था द्वारा किए गए मानहानि केस का सामना कर रहे हैं. उन्होंने 6 मार्च, 2014 की एक रैली में आरोप लगाया था कि महात्मा गांधी की हत्या आरएसएस के लोगों ने की थी. इसी भाषण पर उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज किया गया.

कांग्रेस शायद यह नहीं चाहती थी कि अब राहुल गांधी फिर से किसी नए मुकदमे में फंसें, इसलिए उनके भाषण का वीडियो सोशल मीडिया से तत्काल हटा लिया गया

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