बता दें कि प्रणव के पिता पेशे से ऑटो ड्राइवर हैं और इस पारी के बाद उन्हें आर्थिक मदद देने के लिए मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (MCA) ने स्कॉलरशिप दी थी। इसके तहत उन्होंने अगले पांच साल तक हर महीने 10 हजार रुपए मिलना तय हुआ था, लेकिन उसके बाद वह कोई कमाल नहीं कर पाए।
यहां तक की प्रणव मुंबई की अंडर-19 टीम में भी जगह नहीं बना पाए। उनके पिता प्रशांत धनावड़े और कोच मोबिन शेख ने माना कि लोकल लेवल पर भी वह अच्छे स्कोर नहीं कर पा रहा है। हालांकि, कल्याण में उसे उस हिसाब की ट्रेनिंग नहीं मिल पाई। इसी के बाद धनावड़े के पिता ने MCA को एक पत्र लिखकर अनुरोध किया कि तत्तकाल प्रभाव से स्कॉलरशिप बंद कर दी जाए।
उनकी इस ऐतिहासिक पारी का अंत तब हुआ जब उनकी टीम ने तीन विकेट पर 1495 के स्कोर पर पारी समाप्त घोषित की। यह भी विश्व रिकॉर्ड है। धनावड़े की स्कूल ने विक्टोरिया के न्यूसाउथ वेल्स के खिलाफ 1926 में बनाए गए 1107 रन के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा।
धनावड़े के नाम पर अब भी किसी तरह की क्रिकेट में एक पारी में सर्वाधिक स्कोर का रिकॉर्ड दर्ज है। उन्होंने ब्रिटेन के एईजे कोलिन्स का क्लार्क हाउस के खिलाफ नार्थ टाउन में 1899 में बनाए गए नाबाद 628 रन के रिकॉर्ड को भी तोड़ा था।