रियल एस्टेट सेक्टर बजट से हुआ खुश, तो आरबीआई से हुआ निराश

बजट आने के बाद रियल एस्टेट सेक्टर में जो खुशी का माहौल छाया हुआ था, वो कुछ दिनों के बाद ही काफूर हो गया है। इसका कारण है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) द्वारा रेपो रेट में बदलाव नहीं करना, जिससे होम लोन पर लगने वाली ब्याज दर में कमी होने की उम्मीद अगले दो महीने तक नहीं है।
रियल एस्टेट सेक्टर बजट से हुआ खुश, तो आरबीआई से हुआ निराश

नोटबंदी के बाद बैंकों के पास है पर्याप्त डिपॉजिट

नोटबंदी के बाद बैंकों के पास रुपयों की पर्याप्त तरलता है और रेट कट कर्जदारों को राहत देता। पिछले साल दिसम्बर की समीक्षा नीति की भांति इस बार भी आरबीआई का रवैया सामान्य रहा है।

शीर्ष बैंक से उम्मीद जा रही थी कि रेट कट करने से रियल एस्टेट मार्केट को राहत की सांस लेने का मौका मिलेगा, लेकिन इस बार भी यह उम्मीद पूरी नहीं हो पायी। बजट के बाद और इस साल की पहली बाई-मंथली पालिसी रिव्यू होने के साथ ही यह इस वित्त वर्ष की छठी और आखिरी स

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मीक्षा नीति है।  

रियल एस्टेट सेक्टर ने जताई नाखुशी

रियल एस्टेट सेक्टर ने आरबीआई के फैसले पर नाखुशी जताते हुए कहा कि आरबीआई को रेपो रेट में कटौती करनी चाहिए थी। गुलशन होम्ज के डायरेक्टर दीपक कपूर ने कहा कि रियल एस्टेट बाज़ार की वर्तमान स्थिति को देखते हुए हम रेपो रेट में कम से 25 बेसिस पॉइंट की कटौती का अनुमान लगा रहे थे।

इसका मुख्य कारण बैंको में एकत्रित हुए भारी धन राशि का होना था और इस कदम का प्रभाव सीधे तौर से ग्राहकों को मिलता। वित्तीय वर्ष के अंत के ठीक पहले होने वाले रेपो रेट में कटौती का प्रभाव लोगों के आगामी निवेश योजनाओं पर साफ नजर आता है।

आरबीआई बाज़ार में पुनर्मुद्रीकरण के पूरे कारगर होने तक के इंतजार में नजर आ रही है और हम अंदाजा कर रहे हैं कि अप्रैल में रेपो रेट में कटौती होगी। 

वहीं अंसल हाउसिंग के डायरेक्टर कुशाग्र अंसल ने कहा कि हम लगभग कटौती के दौर में प्रवेश कर रहे थे जिससे  प्रॉपर्टी में भी पुनः डिमांड के लक्षण दिखने लगे थे। साथ ही इस साल के लोकलुभावन बजट को देखते हुए रेपो रेट में कटौती का अनुमान लगाया जा रहा था, पर बाजार के विपरीत आरबीआई ने ऐसा नहीं किया है।

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साया ग्रुप के एमडी विकास भसीन ने कहा कि इस साल के बजट में सरकारी कर्ज में हुई गिरावट को पेश किया गया जो की पिछले साल के 4.25 लाख करोड़ के मुकाबले 3.48 लाख करोड़ की रही और इस कारण सभी को रेपो रेट में गिरावट की उम्मीद थी।

साल की शुरुआत में अफोर्डेबल हाउसिंग के अंतर्गत लिए गए ऋण पर सब्सिडी का देना और बेंक ब्याज दरों में हुइ 50 से 60 बेसिस पॉइंट की कटौती को सबने सराहा था। ऐसे में अगर रेपो रेट को भी कम किया जाता तो सभी भावी घर खरीदारों को अपनी वित्तीय प्लानिंग में ज्यादा आसानी होती | 

 
 
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