सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय कहा कि वह रियल एस्टेट कानून के उन प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला करे, जिसमें भवन निर्माताओं को अपनी जारी परियोजनाओं को रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा) में पंजीकृत कराने की व्यवस्था दी गई है। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने अन्य उच्च न्यायालयों से भी बंबई उच्च न्यायालय में सुनवाई के नतीजे की प्रतीक्षा करने को कहा, जहां रेरा को चुनौती देने वाली इसी तरह की याचिकाएं लंबित हैं।
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उच्च न्यायालय को रियल एस्टेट निर्माता डी.बी. रियल्टी द्वारा दाखिल याचिका पर निर्णय के लिए दो महीने का समय दिया।
अदालत का यह आदेश केंद्र सरकार की एक याचिका पर आया है, जिसमें 2016 के कानून के प्रावधानों को चुनौती देने वाले उन 20 मामलों को सर्वोच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग की गई है, जो विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित हैं।
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सुनवाई शुरू होने पर महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल ने अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखा। इसके बाद न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि क्यों न किसी एक उच्च न्यायालय को सभी याचिकाओं को एकत्र करने और मामले पर निर्णय लेने को कहा जाए।