लव जिहाद कानून के समर्थन में उतरे हार्दिक पटेल ने कहा- दो वयस्‍क को विवाह का अधिकार

पाटीदार आरक्षण आंदोलन में हार्दिक पटेल के साथी रहे सरदार पटेल ग्रुप के अध्‍यक्ष लालजी पटेल ने गुजरात में उत्‍तर प्रदेश की तरह लव जिहाद के खिलाफ कानून लाने की मांग की है। लालजी की मांग है कि 22 साल से कम उम्र की युवती की शादी के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य हो।

सरदार पटेल ग्रुप के अध्‍यक्ष लालजी पटेल का कहना है कि गुजरात के कई अभिभावकों की शिकायत रही है कि उनकी लड़कियों को मुस्लिम समुदाय के युवा परेशान करते हैं अथवा प्रेमजाल में फंसाने का प्रयास कर रहे हैं। लालजी का कहना है कि उत्‍तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर गुजरात में अंतरधार्मिक विवाह के लिए माता-पिता की मंजूरी को आवश्‍यक किया जाना चाहिए साथ ही इस तरह विवाह करने वाली युवती की उम्र 22 वर्ष से अधिक तथा विवाह के दौरान गवाहों की उम्र 35 वर्ष की रखी जानी चाहिए ताकि कम उम्र में अवयस्‍क लडकियां इस तरह की शादी के जाल में फंसने से बच जाए।

लवजिहाद के खिलाफ कानून – जयेश पटेल

पाटीदार नेता से कांग्रेस के कार्यकारी अध्‍यक्ष बने हार्दिक पटेल के साथी रहे सतीश पटेल ने लव जिहाद के खिलाफ एक आंदोलन चलाकर जिला प्रशासन को कई जगह ज्ञापन भी सौंप चुके हैं। एक अन्‍य साथी जयेश पटेल का कहना है कि लवजिहाद के खिलाफ कानून बनाया जाना चाहिए लेकिन उनका यह भी कहना है कि पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के एजेंडा में नहीं है, समिति आरक्षण के मुद्दे पर कार्य करती रहेगी।

अंतरधार्मिक विवाह का विरोध  

गुजरात में वर्ष 2015 से 2017 तक चले पाटीदार आरक्षण आंदोलन के प्रमुख नेता हार्दिक पटेल सहित कई आंदोलनकारी जहां कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं वहीं चिराग पटेल, वरुण पटेल भाजपा में तो रेशमा पटेल एनसीपी से जुड़ चुकी हैं लेकिन इन सभी आरक्षण आंदोलन के नेताओं के अभिभावक रहे लालजी पटेल ने अब गुजरात में अंतरधार्मिक विवाह का विरोध करते हुए राज्‍य सरकार से इस पर कानून बनाने की मांग की है।

लव जिहाद कानून का समर्थन  

गौरतलब है कि इससे पहले भाजपा सांसद मनसुख वसावा, भाजपा विधायक शैलेष सोट्टा व शशिकांत पंड्रया भी इस तरह के कानून की मांग कर चुके हैं। गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्‍यक्ष हार्दिक पटेल का कहना है कि पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के सदस्‍य लव जिहाद कानून के समर्थन में है, ऐसा मेरी जानकारी में नहीं है। दो वयस्‍क युवक–युवती आपसी समझ से विवाह करना चाहते हों तो सरकार अथवा समाज को इसमें किसी तरह का हस्‍तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्‍हें अपने विवाह का फैसला करने का अधिकार है।

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