यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है कि लहसुन का उपयोग करने से रेसिस्टेंट बैक्टीरिया को नष्ट करने और शरीर को फिर से एंटीबायोटिक बनाने में मदद मिलती है।
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यह अध्ययन बताता है कि लहसुन में आरएनए के कण पाए जाते हैं। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि लहसुन में पाए जाने वाले सल्फर के सक्रिय तत्व बैक्टीरिया के कम्यूनिकेशन सिस्टम को नष्ट करने में महत्वपूर्ण होते हैं।
इम्यूनोलॉजी एंड माइक्रोलॉजी विभाग में कोस्टेर्टन बायोफिल्म सेंटर के प्रोफेसर टिम होल्म जैकोब्सन कहते हैं, हम मानते हैं कि इस विधि का उपयोग करके मरीजों के इलाज में मदद मिल सकती है, क्योंकि सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसे पुराने बैक्टीरिया काफी खतरनाक हो सकते हैं और यह हमें नुकसान पहुंचा सकते हैं।
यह अध्ययन प्रोफेसर माइकल गिवस्कोव की अध्यक्षता में एक समूह द्वारा किया गया है। इससे पहले 2005 में लहसुन के बैक्टीरिया पर प्रभावों को लेकर अध्ययन किया गया था।