13 दिसंबर 2001 वो तारीख है जब देश के लोकतंत्र पर लश्कर-ए- तैयबा के 5 आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले को 17 साल होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज संसद हमले में शहीद हुए लोगों को श्रद्धाजंलि देंगे। 13 दिसंबर 2001 को संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा था। संसद-सत्र कुछ ही देर पहले स्थगित हुआ था, कुछ सांसद उस समय परिसर में थे वहीं कुछ तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी सहित कई नेता संसद से निकल चुके थे। 

आतंकियों ने सुबह 11.20 मिनट पर संसद पर हमला बोला था। सफेद रंग की कार में सवार होकर आए 5 आतंकी संसद भवन परिसर में घुसे थे, आतंकियों की कार पर गृह मंत्रालय का स्टीकर था जिस वजह से सुरक्षाकर्मी उन्हें रोक नहीं पाए थे। आतंकियों ने कार से उतरते ही दनादन फायरिंग शुरू कर दी थी।
हथगोले और एक 47 सहित अत्याधुनिक हथियारों से लैस आतंकियों के सामने जो भी आया वो मारा गया। सुरक्षाकर्मियों ने उनका जमकर मुकाबला किया और इस मुठभेड़ में एक ओर जहां सारे आतंकी मारे गए थे वहीं करीब 12 जवान शहीद हो गए थे।
उस समय तत्कालीन गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी और जॉर्ड फर्नांडिस भी उस समय संसद भवन में मौजूद थे। हमले के तुरंत बाद दोनों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया।  साथ ही संसद के लिए अंदर जाने वाले तमाम दरवाजों को बंद कर दिया गया था। चूंकि संसद सत्र चल रहा था तो उस समय परिसर में मीडिया भी मौजूद थी, मीडिया ने पूरे हमले को कवर किया था। 
उस समय देश में बीजेपी का शासन था। तब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। जो संसद स्थगित होने के कारण प्रधानमंत्री हमले से कुछ देर पहले ही निकल गए थे। आतंकियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच करीब 30 मिनट तक मुठभेड़ चली। संसद पर हमला करने के दोषी अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को फांसी दे दी गई थी।
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