वंदे मातरम् को जन-गण-मन जैसा दर्जा देना जरूरी नहीं : सुप्रीम कोर्ट

एक याचिका पर सुनाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रगीत वन्देमातरम् को स्कूलों में गाए जाने को जरूरी बनाने को लेकर किसी तरह की बहस करने से इंकार कर दिया। इस याचिका में संविधान के अनुच्छेद-51ए के तहत नीति बनाने के लिए केंद्र सरकार को आदेश देने की मांग की गई थी।

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जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मौलिक कर्तव्यों से जुड़े इस अनुच्छेद में केवल राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज का ही उल्लेख है। अदालत के मुताबिक संविधान के इस हिस्से में राष्ट्रगीत का कोई उल्लेख नहीं है इसलिए उसकी इस बहस में पड़ने की कोई इच्छा नहीं है। बेंच राष्ट्रगान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगीत को बढ़ावा देने और उनका प्रचार करने के लिए एक नेशनल पॉलिसी बनाने के मकसद से निर्देश देने की मांग करने वाली एक पिटीशन पर सुनवाई कर रही थी।

इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी फिल्म या डॉक्यूमेंट्री के दौरान राष्ट्रगान बजता है तो उसके सम्मान में खड़े होने के लिए जनता बाध्य नहीं है। बीते साल 30 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था जिसमेंं कोर्ट ने थिएटर मालिकों से कहा था कि जब राष्ट्रगान बज रहा हो तो उस समय स्क्रीन पर तिरंगा झंडा दिखाया जाए। साथ ही कहा था कि सिनेमा हॉल में बैठे हर आदमी को राष्ट्रगान के समय खड़ा होकर इसका सम्मान करना पड़ेगा। सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि राष्ट्रगान पूरा बजाया जाए।
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