विकास स्थापना ने महाराजपुरा में आवंटित 140 एकड़ जमीन पर किया कब्जा, जाने क्या है पूरा मामला

सिटी सेंटर में 10 हजार करोड़ की सरकारी-निजी संपत्तियों से जुड़ी बड़ी राहत की खबर आई है। सोमवार को रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना ने महाराजपुरा में आवंटित 140 एकड़ जमीन पर कब्जा ले लिया है। अब तीन माह के भीतर सिटी सेंटर में डीआरडीई लैब का दायरा 200 मीटर से घटकर 50 मीटर हो जाएगा। बस नोटिफिकेशन जारी होने की देर है। इससे सिटी सेंटर क्षेत्र में लंबे समय से अपने निर्माण कार्य को लेकर दायरा घटने के इंतजार में बैठे लोगों की चिंता भी दूर होगी। डीआरडीई डायरेक्टर की अध्यक्षता में प्रशासन के अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें जमीन से जुड़़े सभी दस्तावेजों का परीक्षण किया गया। प्रशासन ने लिखित में दिया है कि दीवार न बनने तक वह पूरी सुरक्षा देगा। अतिक्रमण साफ कर दिया गया है और कोई लीगल केस भी नहीं है। डीआरडीई आगामी 15 दिनों में दीवार बनाकर अपनी जमीन को सुरक्षित करेगा।

ज्ञात रहे कि सिटी सेंटर स्थित डीआरडीई लैब के 200 मीटर के दायरे में कोई भी निर्माण नहीं किया जा सकता है। हाई कोर्ट ने आदेश भी जारी किया था कि डीआरडीई के 200 मीटर के दायरे में आने वाले निर्माणों को हटाया जाए। इस के बाद से यहां संपत्ति स्वामियों में हड़कंप मच गया। सरकारी संपत्तियां भी दायरे में आ रही थीं। कुछ निर्माणों की तुड़़ाई हुई और इसके बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि पीड़ि़तों का पक्ष भी सुना जाए तभी कार्रवाई हो। इसी बीच जनप्रतिनिधियों के प्रयास के बाद शासन स्तर पर बात की गई और रक्षा मंत्रालय से तालमेल कर डीआरडीई की क्रिटिकल लैब के लिए महाराजपुरा में 140 एकड़़ जमीन आवंटित कराने की प्रक्रिया शुरू हुई। प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की, जहां से स्टे मिल गया। शासन स्तर से डीआरडीई को जमीन मिल गई और प्रशासन ने जमीन के कब्जे भी हटा दिए।

दस्तावेज परीक्षण के बाद चर्चाः डीआरडीई के डायरेक्टर डा.डीके दुबे की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया। इसमें वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. एमएम परीडा, डा. एके गुप्ता, डायरेक्ट्रेट आफ सिविल वर्क एंड स्टेट की ओर से कर्नल नितिन मिश्रा, डिफेंस स्टेट भोपाल की ओर से पवन त्यागी, तहसीलदार मुरार नवनीत शर्मा, राजस्व निरीक्षक दिलीप दरोगा, पटवारी अरविंद गोयल उपस्थित रहे। बैठक में आवंटन दस्तावेजों से लेकर सीमांकन व खसरों का परीक्षण किया गया। फिजिकल वैरीफिकेशन मैपिंग भी जांची गई। तहसीलदार मुरार ने लिखित में डीआरडीई को दिया कि जमीन की दीवार पूरी न बनने तक प्रशासन पूरी सुरक्षा देगा। इसके साथ ही जमीन अतिक्रमण मुक्त व विवाद मुक्त है। डीआरडीई कब्जा लेने के बाद तीन माह में 200 मीटर का दायरा घटाकर 50 मीटर कर देगा। इसके बाद नई विश्वस्तरीय लैब बनने के बाद शेष 50 मीटर के कब्जे को हटाया जाएगा।

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