वित्त मंत्री अरुण जेटली ने माल एवं सेवाकर (जीएसटी) प्रणाली के तहत राजस्व संग्रहण में वृद्धि की रफ्तार पकड़ लेने के बाद 12 और 18 फीसदी दरों को मिलाने का संकेत दिया है. उन्होंने कहा कि 28 फीसदी की सबसे ऊंची जीएसटी दर में विलासिता और अहितकर वस्तुओं की बहुत छोटी सूची ही रह जाएगी.Smartphone: इस कम्पनी ने लॉच किया अपना सबसे सस्ता स्मार्टफोन, 8 दिन का बैटरी
एचटी लीडरशिप समिट में जेटली ने कहा, ‘नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली की शुरुआती अनेक दरों के साथ की गई ताकि कर भार को कमोबेश जीएसटी से पहले के स्तर पर ही रखा जा सके. उन्होंने कहा कि देश धीरे- धीरे ऐसी प्रणाली की ओर बढ़ेगा जिसमें दो ही दर वाली जीएसटी होगी. हालांकि, यह कितनी जल्दी होगा यह सरकार को मिलने वाले राजस्व की स्थिति पर निर्भर करेगा.’
बता दें कि सरकार ने नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली जीएसटी एक जुलाई में लागू किया. इसमें फिलहाल चार कर स्लैब 5, 12, 18 और 28 फीसदी है. दैनिक उपभोग की कुछ वस्तुओं पर शून्य प्रतिशत कर भी है.
28 फीसदी टैक्स स्लैब की लिस्ट को किया गया कम
उन्होंने कहा, हमने 28 फीसदी कर वाली लिस्ट को काफी कम किया है, हम इसे और कम कर सकते हैं. एक स्तर पर यह लग्जरी और अहितकारी वस्तुओं तक सीमित हो सकती है. उन्होंने कहा कि जीएसटी संग्रहण में सुधार के साथ सरकार देखेगी कि क्या 12 और 8 फीसदी कर स्लैब के विलय की गुंजाइश बन सकती है.
उन्होंने कहा कि 12 और 18 फीसदी टैक्स स्लैब को मिलाने का मतलब होगा कि 12 प्रतिशत दायरे वाले कुछ उत्पादों को पांच प्रतिशत टैक्स दायरे में भेजा जाएगा. इसके परिणामस्वरूप पांच प्रतिशत व एक्स प्रतिशत वाली दूसरी दर के रूप में सामने आएगा. इसके साथ ही 28 फीसदी के सबसे ऊंचे टैक्स स्लैब में उत्पादों की बहुत छोटी सूची होगी.
राजकोषीय घाटे को कम करना
राजकोषीय घाटे के बारे में जेटली ने कहा कि वह राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को कम करने के रास्ते पर बने रहना चाहते हैं. देश का राजकोषीय घाटा अप्रैल- अक्टूबर की अवधि में बजटीय अनुमान का 96.1 फीसदी हो गया. मंत्री ने कहा, राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन एफआरबीएम रपट पर विचार हो रहा है. जहां तक राजकोषीय घाटे में कमी का सवाल है तो बीते तीन साल में हमारा रिकार्ड बहुत अच्छा रहा है. हम इस क्रम को बनाए रखना चाहेंगे. सरकार ने राजकोषीय घाटे को 2017-18 में घटाकर जीडीपी के 3.2 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है जो कि बीते विा वर्ष में 3.5 प्रतिशत था.
करना होगा पहले बकाया भुगतान
इसके साथ ही वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि अपनी ही फंसी आस्तियों की पुनर्खरीद के लिए बोली लगाने वाले प्रवर्तकों को पहले के बकाया का भुगतान करना होगा. उन्होंने कहा कि प्रवर्तक इस तरह की आस्तियों की नीलामी में बोली लगा सकते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें अपने गैर निष्पादित आस्ति एनपीए खातों पर बकाया का भुगतान पहले करना होगा. उन्होंने कहा कि बैंकों के बकाया की वसूली के लिए बेची जा रही कंपनियों के लिए सम्बद्ध प्रवर्तकों द्वारा ही बोली लगाए जाने पर कोई पूरी तरह रोक नहीं है.