विपक्ष का वार, केजरीवाल जैसी नौटंकी पर उतरे शिवराज सिंह चौहान..

विपक्ष का वार, केजरीवाल जैसी नौटंकी पर उतरे शिवराज सिंह चौहान..

मध्य प्रदेश में किसानों की समस्याओं पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा भेल के दशहरा मैदान से सरकार चलाने के ऐलान पर विपक्ष ने उन पर करारा हमला बोला है. कांग्रेस ने जहां इसे केजरीवाल शैली की नौटंकी बताया है तो माकपा ने ‘करे गली में कत्ल बैठ चौराहे पर रोएं’ जैसा बताया है. राज्य में किसान एक जून से कर्ज माफी, फसल के उचित दाम की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. इस दौरान मंदसौर में पुलिस गोलीबारी में छह किसानों की मौत हो चुकी है. राज्य के अन्य हिस्सों में भी हिंसक विरोध प्रदर्शन किया है.
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मुख्यमंत्री चौहान ने दशहरा मैदान में किसान व जनता से चर्चा के मकसद से सरकार चलाने और शांति बहाली के लिए अनिश्चितकालीन उपवास रखने का शुक्रवार को ऐलान किया है.

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा, “प्रदेश में किसान अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर हैं. उनका समाधान करने के बजाय एक संवैधानिक पद पर बैठे मुख्यमंत्री नौटंकी पर उतर आए हैं. केजरीवाल शैली की इस नौटंकी में चौहान एक बार फिर करोड़ों रुपये खर्च करेंगे.”

उन्होंने सवाल किया, “यह अनिश्चितकालीन उपवास किसके विरुद्ध है, अपनी ही सरकार या जनता के. वह केजरीवाल शैली की इस नौटंकी में अपनी ब्रांडिंग पर करोड़ों रुपये खर्च करने वाले हैं. सच्चाई यह है कि मुख्यमंत्री एक बार फिर मूल मुद्दे से ध्यान हटाने और प्रदेश की जनता को गुमराह करने के सस्ते हथकंडे पर उतर आए हैं.”

सिंह ने कहा, “एक बार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वर्ष 2011 में ऐसी ही नौटंकी करने के लिए भेल दशहरा मैदान में बैठने वाले थे. तब संवैधानिक संकट खड़ा होने पर उन्होंने अपना कदम वापस खींच लिया था, तब तक उनकी नौटंकी की व्यवस्था पर सरकार के पचास लाख रुपये खर्च हो चुके थे.”

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव बादल सरोज ने कहा, “किसानों की हत्या के बाद भी उन्हें अपशब्द कहने वाली सरकार के मुख्यमंत्री का ‘शांति बहाली’ के नाम पर उपवास का ऐलान एक शुद्ध राजनीतिक पाखंड है. पीड़ित, आंदोलित और शोक संतप्त परिवारों के घावों पर नमक छिड़कना है. यह तो ठीक वैसा ही है ‘करें गली में कत्ल बैठ चौराहे पर रोएं.”

उन्होंने आगे कहा, “मुख्यमंत्री सात जून से रोज करोड़ों रुपयों के विज्ञापन के जरिए समस्या सुलझा चुकने का दावा कर रहे थे. आज किसानों की मांगों के समाधान की सदिच्छा व्यक्त कर रहे हैं. उन्हें यदि असल में अफसोस है तो इस्तीफा दें, उसके बाद प्रायश्चित उपवास पर जाएं.”

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