देश की दो महिला आईएफएस अधिकारियों ने एक आईएएस अफसर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसके पीछे की वजह भी पता चल गई है, जो काफी शर्मनाक है। दरअसल, आईएएस पर उत्पीड़न के आरोप लगे हैं। इसलिए दोनों अफसरों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। मामला हरियाणा का है। दो आईएफएस अधिकारियों ने वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आईएएस एसके गुलाटी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।अमित शाह पहुंचे लखनऊ, यूपी प्रदेश अध्यक्ष का नाम चुना जा सकता है
फरीदाबाद में तैनात 2008 बैच की आईएफएस अधिकारी रेंजिथा एमएच ने एसके गुलाटी पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखा है। गुड़गांव में तैनात एक अन्य आईएफएस अफसर विनोद कुमार ने भी एसके गुलाटी की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर फॅारेस्ट (पीसीसीएफ) पीपी भोजवैद्य को पत्र लिखा है। इस मोर्चाबंदी को लेकर एसके गुलाटी ने भी बातचीत में अपना पक्ष मजबूती से रखा है। ये पत्र ब्यूरोक्रेसी में चर्चा का विषय बन गए हैं।
महिला आईएफएस ने पत्र में लिखा है कि उक्त अधिकारी को यदि कुछ कहना है तो वह व्यवस्था के तहत तय माध्यम से अपनी बात कह सकते हैं। उनके साथ सीधे संवाद की आवश्यकता नहीं है। वैसे भी तकनीकी तौर पर पीसीसीएफ विभाग के मुखिया हैं। महिला आईएफएस ने कहा कि फोन पर इस्तेमाल शब्दों से मुझे अपमानित होना पड़ा है। मेरे दो बच्चे हैं। मानसिक प्रताड़ना के चलते उनकी परवरिश प्रभावित हो रही है। मेरे घर के वातावरण पर भी इसका असर पड़ रहा है।
काम करने का माहौल मांगा
रेंजिथा एमएच ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि राज्य में कार्यरत महिला अधिकारियों को काम करने के लिए सरकार सुरक्षित माहौल प्रदान करे अन्यथा इस तरह के माहौल में काम करना मुश्किल होगा। रेंजिथा ने इस पूरे मामले में जांच की मांग की है।
हम सरकारी तंत्र में काम कर रहे हैं न कि किसी एनजीओ में। मैं सरकार के तौर पर कोई स्टैंड लेता हूं तो कोई अफसर उससे बच कैसे सकता है। यह सारा कौतुक इसलिए रचा जा रहा है कि मेरे आर्डर इंप्लीमेंट नहीं करना चाहते। लंबे समय से उक्त लोग एक फर्म की एनओसी दबा कर बैठे हैं। मैंने आर्डर लिखा तो इन लोगों ने दूसरा मुद्दा उठा दिया। सरकारी तंत्र में व्यवस्था के तहत ही काम करना होगा। सभी बातें निराधार हैं।