बड़ी खबर: फिर हुआ शिक्षामित्रों के साथ धोखा, अब केवल 10 हजार ही मिलेगा…

राजधानी लखनऊ में करीब एक लाख शिक्षामित्रों के रोड जाम किए जाने के बाद भी सरकार झुकती हुई नजर नहीं आ रही है। भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार ने फैसला किया है कि वह शिक्षा मित्रों को केवल 10 हजार रुपए मानदेय देगी। जबकि इसके पहले जिस आदेश को फर्जी बताया गया था उसमें 17 हजार मानदेय की बात लिखी हुई थी।बड़ी खबर: फिर हुआ शिक्षामित्रों के साथ धोखा, अब केवल 10 हजार ही मिलेगा…

विभागीय तालमेल की कमी के चलते पूरे यूपी से लगभग 1 लाख से ज्यादा शिक्षा मित्र लखनऊ में प्रदर्शन करने को मजबूर हैं। लक्ष्मण पार्क में इससे पहले लखनऊ के डीएम कौशल राज शर्मा ने 20 अगस्त को सभी जिलों के डीएम और एसपी को लेटर भेजा था, जिसमें 21 अगस्त को लक्ष्मण मेला में प्रस्तावित धरना प्रदर्शन में शिक्षामित्रों को शामिल होने से पहले अपने जिलों में रोकने की अपील की गई थी। इसके पीछे लखनऊ शहर की शांति व्यवस्था भंग होने की आशंका जताई गई थी। इसके बाद भी तमाम सुरक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करते हुए सोमवार को 1 लाख से अधिक शिक्षामित्र लखनऊ पहुंच गए।

ये भी पढ़े: लालू की भाजपा भगाओं रैली का हिस्सा बनेंगे अखिलेश यादव, और निशाने पर खलनायक नीतीश…

-शिक्षा मित्र सौ से ज्यादा छोटी बड़ी गाड़ियों से आज लखनऊ पहुंचे थे। इतनी बड़ी तादाद में गाड़ियों के राजधानी में पहुँचने से ट्रैफिक सिस्टम फेल हो गया।

– शिक्षा मित्रों ने हजरतगंज के सिकन्दराबाद चौराहे से लेकर नेशनल पीजी कॉलेज और लक्ष्मण मेला मैदान तक जगह-जगह अपनी गाड़ियां खड़ी करा दी थी।

-इससे नेशनल पीजी कालेज, और लामार्ट्स के बच्चों को जाम की प्रॉब्लम से जूझना पड़ गया। यही हाल शहर के अन्य इलाकों का भी था। चारबाग से लेकर जीपीओ और कैसरबाग से लेकर परिवर्तन चौक तक लोग जाम में फंसे हुए दिखाई दिए। गर्मी से उनका बुरा हाल था।

देर से जागा लखनऊ प्रशासन

– शिक्षा मित्रों के प्रदर्शन को देखते हुए फोर्स बढ़ाई गई। डीजीपी हेडक्वार्टर के आदेश के बाद पीएसी की दो कंपनी और आरएएफ की एक कंपनी तैनात कर दी गई है। तीन दिनों तक चलने वाले प्रदर्शन के चलते बढ़ाया गया है।

23 अगस्त को जेल भरो आंदोलन

-आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट जितेन्द्र शाही ने कहा, “मांगे नहीं मानने पर 23 अगस्त को जेल भरो आंदोलन करेंगे।”

ये भी पढ़े: आज सीएम योगी आदित्यनाथ को सौंपी जायेंगी रिपोर्ट, बड़ी कार्रवाई की उम्मीद!

अखिलेश यादव ने किया ट्वीट

-“भरण-पोषण और आत्मसम्मान बचाने के लिए शिक्षा मित्र प्रदर्शन कर रहे है, न कि पिकनिक मनाने। इससे पहले मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत के बाद योगी ने विरोधियों पर कहा था, “किसी सूरत में गोरखपुर को पिकनिक स्पॉट नहीं बनने दिया जाएगा।”

लखनऊ डीएम ने अपने लेटर में लिखी थी ये बातें

-लखनऊ डीएम कौशल राज शर्मा ने 20 अगस्त जारी लेटर कर कहा था, यूपी प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ संयुक्त शिक्षक शिक्षामित्र समिति ने अचानक 21 अगस्त को लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में धरना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है।

-उनके प्रदर्शन से सीएम आवास, एनेक्सी और विधान सभा के बाहर शांति और सुरक्षा भंग होने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसलिए जिलों के डीएम और एसपी से अपील की जाती है कि वे शिक्षामित्रों को अपने जिलों में ही रोके रखने का काम करें।

-लखनऊ डीएम कौशल राज शर्मा की अपील को किसी जिले के डीएम और एसपी ने संज्ञान नहीं लिया। इसमें जिलों के आरटीओ भी भूमिका भी सवालों के घेरे में है।

-डीएम ने आरटीओ से ये सुनिश्चित करने को कहा था, प्रस्तावित धरने के दिन किसी भी शिक्षामित्र को बस ट्रक या अन्य सवारी ढ़ोने वाली गाड़ियां किराए पर न मिलने पाए।

लखनऊ डीएम की ये अपील किसी काम नहीं आई। प्रदेश के विभिन्न जिलों से बसों, ट्रकों और छोटी-छोटी गाड़ियों में शिक्षामित्र बड़ी तादाद में लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान पहुंच गए।

लखनऊ पुलिस भी नाकाम

-ऐसा नहीं है कि शिक्षामित्रों के 1 लाख से अधिक तादाद में लखनऊ पहुंचने और शहर की ट्रैफिक सिस्टम के ध्वस्त होने में केवल बाहरी जिलों के डीएम और एसपी का हाथ है, बल्कि लखनऊ पुलिस भी इसके लिए बराबर की जिम्मेदार है।

-सवाल है कि जब एक दिन पहले ही लखनऊ पुलिस को ये बात मालूम हो गई थी की 21 अगस्त को राजधानी में एक लाख से अधिक शिक्षामित्र धरना प्रदर्शन करने के लिए पहुंच रहे है तो फिर शहर में कड़ी सुरक्षा क्यों नहीं कि गई?

-चौराहों पर गाड़ियों को रोककर उनकी छानबीन क्यों नहीं की गई। आखिर भारी भरकम वाहन को किसके आदेश पर बड़ी ही आसानी से लक्ष्मण मेला मैदान तक जाने दिया गया? इस सवालों के जवाब अब लखनऊ पुलिस को देना ही होगा।

क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला ?

– यूपी में असिस्टेंट टीचर के पद पर शिक्षामित्रों के समायोजन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई को बड़ा फैसला सुनाया।

– कोर्ट के फैसले में कहा गया कि 1 लाख 72 हजार शिक्षामित्रों में से समायोजित हुए 1 लाख 38 हजार शिक्षामित्रों की असिस्टेंट टीचर के पद पर हुई नियुक्ति अवैध है।

– वहीं, सभी 1 लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को दो साल के अंदर टीईटी एग्जाम पास करना होगा। इसके लिए उन्हें दो साल में दो मौके मिलेंगे।

– बता दें, 1 लाख 72 हजार शिक्षामित्रों में से 22 हजार शिक्षामित्र ऐसे हैं, जिन्होंने टीईटी एग्जाम पास कर रखा है। ऐसे में यह फैसला उनके ऊपर भी लागू होगा।

– साथ ही इन दो सालों में टीईटी एग्जाम पास करने के लिए उम्र के नियमों में भी छूट दी जाएगी।

– जस्ट‍िस एके गोयल और ज‍स्ट‍िस यू.यू ललित की बेंच ने आदेश सुनाते हुए ये भी कहा कि अनुभव के आधार पर शिक्षामित्रों को वेटेज का भी लाभ मिलेगा।

सीएम योगी से मिला था शिक्षा मित्रों का प्रतिनिधिमंडल

-1 अगस्त 2017 को शिक्षामित्रों के प्रतिनिधिमंडल ने सीएम योगी आदित्यनाथ से एनेक्सी में मुलाक़ात की। प्रतिनिधिमंडल में यूपी शिक्षामित्र संघ, के प्रेसिडेंट जितेन्द्र शाही, जिलाध्यक्ष, राम सागर मिश्रा, विश्वनाथ कुशवाहा आदि शिक्षामित्र शामिल थे। मुलाकात के बाद सीएम ने हर संभव मदद का भरोसा दिया था, बावजूद इसके शिक्षा मित्रों ने धरना जारी रखा।

शिक्षामित्रों की ये है मांग

– यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करे।

-सरकार, सदन में शिक्षामित्रों के समायोजन को लेकर नया आधिनियम पारित कराए।

-सरकार, जस्टिस के यहां पर क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करे।

-मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिया जाए।

ये है आज का प्रोग्राम

लखनऊ-यूपी के हजारों शिक्षामित्र लक्ष्मण मेला पार्क में कल से कर रहे कैम्प,आज #shikshamitra संगठन के पदाधिकारी सीएम से कर सकते हैं मुलाकात

 

 

 

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com