लखनऊ. उत्तर प्रदेश में शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक के तौर पर समायोजन राद किये जाने से नाराज शिक्षामित्रों ने सरकार को अपना आखिरी अल्टीमेटम दिया है. इससे पहले सरकार और शिक्षामित्रों के बीच कई दौर में बातचीत हो चुकी है लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला. उसके बाद अब शिक्षामित्रों ने सरकार को धमकी दी है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज शिक्षामित्रों ने काफी उग्र प्रदर्शन किया था जिसके बाद सरकार ने उनके साथ बात चीत करने के प्रस्ताव रखा. शिक्षामित्र ने सरकार के प्रतिनिधि से मुलाक़ात की. लेकिन मामले का हल नहीं निकला. अब शिक्षामित्रों ने धमकी देते हुए कहा कि यदि तीन दिनों के भीतर कोई हल नहीं निकला तो वे पांच सितंबर से विधानसभा का घेराव करेंगे.
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शिक्षामित्रों की मांगों पर विचार करने के लिए हालांकि मुख्य सचिव राजीव कुमार ने बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव राज प्रताप सिंह की अध्यक्षता में समिति बनाई है. इस समिति में सूचना विभाग, न्याय विभाग, समाज कल्याण व वित्त विभाग के प्रमुख सचिव सदस्य बनाए गए हैं. ये समिति शिक्षामित्रों की मांगो पर विचार विमर्श करेगी और सरकार के सामने अपनी रिपोर्ट रखेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई को फैसला सुनाया था कि कि शिक्षामित्र समायोजित नहीं होंगे. उन्हें दोबारा से परीक्षा देनी होगी. इससे आहत शिक्षा मित्रों का आंदोलन लगातार जारी है. जबकि समायोजित शिक्षामित्र अभी तक मिल रहे वेतन को ही मानदेय के रूप में दिए जाने की मांग कर रहे हैं. स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षक संविदा पर तैनात हैं और इन्हें 27,000 रुपये 11 महीने 29 दिन का मानदेय दिया जाता है.
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शिक्षक कल्याण समिति ने शिक्षक दिवस के मौके पर विधानसभा के घेराव का ऐलान किया है. प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार वर्मा का कहना है कि यदि सरकार ने तीन दिनों के भीतर शिक्षामित्रों पर निर्णय नहीं लिया तो पांच सितंबर को विधानभवन का घेराव किया जाएगा.