श्री गुरु अंगद देव जी की आज 517 वीं जयंती है, जानिए इनकी 5 दुर्लभ तथ्य

आज सिखों के दूसरे गुरु, गुरु अंगद देव जी का जन्मदिन है गुरु अंगद देव जी का जन्म 31 मार्च, 1504 को हुआ था तथा सिख समुदाय बुधवार यानी आज उनकी 517वीं जयंती मनाएगा। गुरु अंगद देव जी का जन्म पंजाब के हरिके गांव में हुआ था। उनका जन्म एक हिंदू परिवार में फेरू मल तथा माता रामो के घर हुआ था।

वैसे, कई लोग ये नहीं जानते है कि उन्हें गुरु नानक देव के उत्तराधिकारी के तौर पर कैसे चुना गया? सिख धर्म के संस्थापक, गुरु नानक देव जी ने गुरु अंगद देव जी को अपने बेटों के उत्तराधिकारी के तौर पर चुना। एक मशहूर कहानी है कि उन्हें उत्तराधिकारी के तौर पर कैसे चुना गया, एक जग कीचड़ में गिर गई तथा गुरु नानक देव जी ने अपने बेटों से बताया कि वो इसे उठाएं, किन्तु उनके बेटों ने इसे करने से मना कर दिया क्योंकि उन्हें लगा कि ये एक अच्छा काम नहीं है। इसके पश्चात्, गुरु नानक देव जी ने गुरु अंगद देव जी से इसे उठाने के लिए कहा तथा उन्होंने बगैर किसी हिचकिचाहट के उसे उठाया। इससे, गुरु नानक जी उनसे प्रभावित हुए तथा उन्होंने 7 सितंबर, 1539 को उन्हें दूसरे उत्तराधिकारी के तौर पर नामित किया।

गुरु अंगद देव जी की जयंती के खास मौके पर जानिए उनके बारे में कुछ अज्ञात तथ्य-

1. गुरु अंगद देव जी के जन्म का नाम लेहना था। गुरु नानक देव जी ने उनका नाम अंगद रखा। अंगद नाम का अर्थ शरीर का भाग होता है।

2. गुरु अंगद देव जी ने 16 साल की उम्र में 15 जनवरी को माता खवी से विवाह कर लिया।

3. गुरु अंगद देव जी ने तकरीबन 62 से 63 श्लोक लिखे तथा उन्होंने गुरुमुखी लिपि में भी इसका सुधार किया।

4. गुरु अंगद देव जी ने लंगर की व्यवस्था आरम्भ की तथा उन्होंने सिख धर्म के अभ्यास के लिए अन्य केंद्र भी स्थापित किए।

5. गुरु अंगद देव जी के पश्चात् गुरु अमर दास जी उत्तराधिकारी बने, जो सिख धर्म के तीसरे उत्तराधिकारी थे। गुरु अमर दास हरिद्वार तथा अमृतसर सहित बीस से ज्यादा तीर्थ स्थलों पर गए।

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