विधानसभा के चुनाव परिणाम के बाद सुस्त पड़े जिलाअध्यक्षों की लिस्ट तैयार हो गई है। जिन अध्यक्षों ने पिछले पांच महीने में पार्टी संगठन की मीटिंग और कार्यकारिणी को लेकर उदासीन रवैया दिखाया है उन पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है। अखिलेश यादव इस बार किसी भी नाकाबिल को बख्शने के मूड़ में नहीं है। हालांकि इसकी खबर लगते हैं अब कई जिले के अध्यक्ष पार्टी कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। वह लखनऊ में डेरा डाले हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक,उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी के सत्ता से बाहर होने के बाद से ही सपा ने 2019 की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टी संगठन में भी बदलाव चाहते हैं। यही वजह है कि अब वे एक बड़ा फैसला स्टेट कांफ्रेंस में लेने जा रहे हैं।
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बदलेंगे सपा के अध्यक्ष
यूपी चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी की नजर अब 2019 के लोकसभा चुनावों पर टिक गयी है। इसके लिए सपा ने तैयारी करते हुए बीते दिनों सदस्यता अभियान भी शुरू किया था। सपा के अनुसार इसमें लगभग 1 करोड़ लोगो ने पार्टी की सदस्यता ली थी। इसके बाद अब अगले महीने होने वाले राज्य सम्मलेन में बड़ा फैसला होनी की उम्मीद है। चर्चा है कि इसमें सपा के 2 तिहाई से ज्यादा अध्यक्ष को बदल दिया जाएगा।
इस कांफ्रेंस में सपा के जिला और प्रकोष्ठों के अध्यक्ष शामिल होंगे। साथ ही सम्मलेन में राज्य के हालातों और जनसमस्याओं पर भी चर्चा की जाएगी। सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि जिन नेताओं ने सक्रिय काम नहीं किया है, उन्हें हटाया जाएगा।
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राजेंद्र चौधरी ने यह भी कहा कि कुछ पूर्व विधायकों और जिलाध्यक्षों ने सदस्यता अभियान में भूमिका नहीं निभाई है। उन्हें चिन्हित कर उनकी जगह नए और सक्रिय नेताओं की नियुक्ति की जायेगी। उन्होंने कहा कि जो नेता पीछे रहे हैं, उनकी खुद की कमजोरी सामने आ गयी है। 5 सितंबर से समाजवादी पार्टी के संगठनात्मक चुनावों की शुरुआत हो रही है। इसके लिए सभी पार्टी पदाधिकारियों को पहले ही सूचना दे दी गयी है। सभी को जिला और महानगर सम्मलेन में अपना पूरा सहयोग देने के लिए कहा गया है।