सरकार ने कहा-LIC के पॉलिसी होल्डर्स को मिलती है सॉवरेन गारंटी

सरकार ने कहा है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के पॉलिसी होल्डर्स को सॉवरेन गारंटी मिलती है। वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में शनिवार को एक अतारांकित प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा है कि, ‘लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन एक्ट, 1956 के अंतर्गत भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा जारी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज पर सॉवरेन गारंटी के प्रावधान शामिल हैं।’ दरअसल, गुजरात के सूरत से लोकसभा की सदस्य दर्शना विक्रम जरदोश ने वित्त मंत्री से यह जानना चाहा था कि क्या सरकार का भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) द्वारा दी गई पॉलिसियों पर सॉवरेन गारंटी देने का विचार है या नहीं। उन्होंने यह भी सवाल किया था कि एलआइसी के सूचित विनिवेश के बाद भी उसकी पॉलिसियों पर सरकार सॉवरेन गारंटी देगी या नहीं। 

लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन एक्ट, 1956 के सेक्शन 37 के मुताबिक कॉरपोरेशन द्वारा जारी सभी पॉलिसीज के सम इंश्योर्ड और अगर कोई बोनस देय है तो उसकी नकद भुगतान की गारंटी केंद्र सरकार की होगी।

ठाकुर ने कहा कि भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाइ) ऑफसाइट और ऑनसाइट निगरानी तंत्र के जरिए सभी इंश्योरेंस कंपनियों के कामकाज की समीक्षा करता है। एलआइसी के कार्य-निष्पादन का आकलन बीमा कंपनी द्वारा हर साल सरकार को दिए जाने वाले स्टेटमेंट ऑफ इंटेंट के माध्यम से भी किया जाता है। इसके साथ ही कॉरपोरेशन के कामकाज की सालाना रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में रखी जाती है। संसद की विभिन्न स्थायी समितियां जीवन बीमा निगम के कामकाज की समीक्षा करती हैं।

उन्होंने पॉलिसीधारकों की धनराशि को सुरक्षित रखने को संदर्भ में कहा कि पॉलिसीधारकों से प्राप्त प्रीमियम का विवेकपूर्ण निवेश बीमा अधिनियम, 1938 तथा इरडाई (इंवेस्टमेंट) रेगुलेशन, 2016 के प्रावधानों के अनुसार किया जाता है। इसके अलावा एलआइसी इरडाइ द्वारा निर्धारित सॉल्वेंसी रेशियो से उच्चतर स्तर को बनाए हुए है।

इससे पहले फरवरी में ठाकुर ने समाचार एजेंसी ‘पीटीआइ’ को बताया था कि सरकार एलआइसी के पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा करेगी। उन्होंने कहा था कि LIC के लिस्टिंग से बेहतर पारदर्शिता, लोक भागीदारी को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com