सीएम योगी ने सपा के सभी भ्रष्टाचारियों की नींद उड़ाई, कार्रवाई को बनी उच्च स्तरीय कमेटी

सीएम योगी ने सपा के सभी भ्रष्टाचारियों की नींद उड़ाई, कार्रवाई को बनी उच्च स्तरीय कमेटी

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिस गोमती चैनलाइजेशन योजना को अपनी सरकार की उपलब्धियों में गिनाया था, उसमें इंजीनियरों, आइएएस अफसरों ने करोड़ों रुपये का वारा-न्यारा किया था। न्यायमूर्ति आलोक सिंह की जांच रिपोर्ट में यह खुलासा होने पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई तय करने को नगर विकास एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की है। समिति को दोषी इंजीनियर व वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई संबंधी अपनी संस्तुति रिपोर्ट 15 जून तक मुख्यमंत्री को सौंपनी होगी।सीएम योगी ने सपा के सभी भ्रष्टाचारियों की नींद उड़ाई, कार्रवाई को बनी उच्च स्तरीय कमेटीयह भी पढ़े: पीएम मोदी के सामने आई बहुत बड़ी मुसीबत, पार्टी में मचा हाहाकार…

अखिलेश यादव सरकार ने वर्ष 2014-15 में गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना के लिए 656 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की थी, जो बढ़कर 1,513 करोड़ रुपये हो गई थी। जिसका 95 प्रतिशत हिस्सा खर्च होने के बावजूद परियोजना का 60 प्रतिशत कार्य ही पूरा हुआ है। मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट का निरीक्षण करने गए थे और फिर सेवानिवृत न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित करते हुए 45 दिन में रिपोर्ट मांगी थी।

समिति ने पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। सूत्रों का कहना है कि न्यायमूर्ति आलोक सिंह की समिति ने अपनी रिपोर्ट में इंजीनियरों व ठेकेदारों के बीच दुरभि संधि के चलते परियोजना में करोड़ों रुपए का दुरुपयोग किए जाने की बात कही है।

समिति तकरीबन 40 पेज की रिपोर्ट में बिन्दुवार खामियों का उल्लेख करते हुए तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन, तत्कालीन प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल पर सवाल उठाते हुए एक दर्जन इंजीनियरों को दोषी ठहराया है।

इस पर मुख्यमंत्री ने मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में समिति गठित करते हुए उसमें राजस्व परिषद के अध्यक्ष प्रवीर कुमार, अपर मुख्य सचिव वित्त अनूप चन्द्र पांडेय व प्रमुख सचिव न्याय रंगनाथ पांडेय को सदस्य बनाया है।
समिति को करोड़ों रुपये का दुरुपयोग करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई का प्रारूप तय करने का जिम्मा सौंपा गया है। समिति को 15 जून तक मुख्यमंत्री को अपनी संस्तुति रिपोर्ट सौंपनी होगी। जानकारों के मुताबिक परियोजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों को देखते हुए समिति, दोषी अधिकारियों व इंजीनियरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ ही एफआइआर कराने की संस्तुति कर सकती है।
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