दो “सप्ताह” से ज्यादा खाँसी “टी.बी.” बन जाती हैं और समय पर गर्लफ्रेंड न बदलो तो “बीवी” बन जाती हैं. श्क में ये अंजाम पाया हैं, हाथ पैर टूटे और मुहँ से खून आया हैं… हॉस्पिटल पहुचे तो नर्स ने फ़रमाया हैं, बहारों फूल बरसाओ किसी का आशिक आया हैं… न जाने तुम पे इतना यकीन क्यूँ हैं, तेरा ख्याल भी इतना हसीन क्यूँ हैं, सुना हैं प्यार का दर्द मीठा होता हैं तो आखों से निकलने वाला आँसू नमकीन क्यूँ हैं. जो कर्जा दिया मित्र को, वो मूरख कहलाय, महामूरख वो मित्र हैं, जो पैसा दे लौटाय.

हंसने पर मजबूर कर देने वाली शायरी

रात में किताब मेरी मुझे देखती रही,
नींद मुझे अपनी तरफ खींचती रही,
नींद का झोका मेरा मन मोह गया,
आज की रात फिर ये जीनियस बिना पढ़े सो गयादो “सप्ताह” से ज्यादा खाँसी “टी.बी.” बन जाती हैं और समय पर गर्लफ्रेंड न बदलो तो “बीवी” बन जाती हैं.   श्क में ये अंजाम पाया हैं, हाथ पैर टूटे और मुहँ से खून आया हैं… हॉस्पिटल पहुचे तो नर्स ने फ़रमाया हैं, बहारों फूल बरसाओ किसी का आशिक आया हैं…   न जाने तुम पे इतना यकीन क्यूँ हैं, तेरा ख्याल भी इतना हसीन क्यूँ हैं, सुना हैं प्यार का दर्द मीठा होता हैं तो आखों से निकलने वाला आँसू नमकीन क्यूँ हैं.    जो कर्जा दिया मित्र को, वो मूरख कहलाय, महामूरख वो मित्र हैं, जो पैसा दे लौटाय.

खुशियों को तीन लफ्जो में,
बयाँ करने का शर्त लगा लिया,
वो किताबों में ढूढ़ते रह गए,
“बीवी मायके गई” मैंने लिख दिया. 

बीमा कंपनी वाले भी क्या ग़जब ढाते हैं,
बीबियों के पास घंटो बैठ कर, पति के मरने के फ़ायदे बताते हैं.

पढना-लिखना छोड़ दे बन्दे पुण्य पर रख आस,
चादर उठा और आराम से सो जा, भगवान करेंगे पास. 

मुस्कुराना तो हर सुंदर लड़की की एक अदा हैं,
और मेरे भाई जो उसे प्यार समझें वो सबसे बड़ा गधा हैं. 

पहली नजर में लगा वो मेरी हैं, उनकी आख़ें दरिया से भी गहरी हैं,
प्रोपोज़ कर-कर के थक गया, फिर पता चला वो तो बहरी हैं. 

 दो “सप्ताह” से ज्यादा खाँसी “टी.बी.” बन जाती हैं
और
समय पर गर्लफ्रेंड न बदलो तो “बीवी” बन जाती हैं.

श्क में ये अंजाम पाया हैं,
हाथ पैर टूटे और मुहँ से खून आया हैं…
हॉस्पिटल पहुचे तो नर्स ने फ़रमाया हैं,
बहारों फूल बरसाओ किसी का आशिक आया हैं…

न जाने तुम पे इतना यकीन क्यूँ हैं,
तेरा ख्याल भी इतना हसीन क्यूँ हैं,
सुना हैं प्यार का दर्द मीठा होता हैं तो
आखों से निकलने वाला आँसू नमकीन क्यूँ हैं. 

जो कर्जा दिया मित्र को, वो मूरख कहलाय,
महामूरख वो मित्र हैं, जो पैसा दे लौटाय.

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