हरी सब्जियों के दाम सुनकर आम लोगों की चेहरे खिले लेकिन किसानों के चेहरे पड़े पीले

खुदरा बाजारों में हरी सब्जियों के दाम सुनकर जहां, आम आदमी के चेहरे खिल रहे हैं तो वहीं किसानों के चेहरे पीले पड़ जा रहे हैं। नेनुआ से लेकर भिंडी, तोरई तक और करेला से लेकर लौकी तक की लागत तो छोड़िए किसानों को इनकी तुड़वाई और मंडी तक का भाड़ा भी निकल नहीं पा रहा है। इन हरी सब्जियों के भाव आसमान से सीधे जमीन पर आ गए हैं।

नेनुआ यानी तोरई 10 रुपये में 3 किलो बिक रहा है तो भिंडी को कोई पूछ नहीं रहा। करेला भी 5 रुपये पर आ गया है, जबकि शहरों में अभी भी हरी सब्जियां 20 से 30 रुपये किलो बिक रही हैं।

दरअसल शादियों के सीजन के चलते हरी सब्जियों की डिमांड कम हो गई है। इसका असर ये है कि हरी सब्जियों में केवल परवल ही 20 से 30 रुपये किलो बिक रहा है। लोगों के आंसू निकालने वाला प्याज भी महंगाई की इस प्रचंड लहर में सहमा हुआ है। फुटकर में यह 20 से 30 रुपये किलो बिक रहा है। आलू के भी तेवर ढीले ही हैं। पिछले साल इन्हीं दिनों में 50 रुपये तक बिकने वाला आलू अब 14 रुपये किलो है। अभी कुछ दिन पहले नींबू आम लोगों का रस निचोड़ रहा था। यह भी अब 10 रुपये के चार मिल रहा है। मंगलवार को उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के मथौली कस्बे में नेनुआ, भिंडी, तोरई, करेला, लौकी 5 रुपये किलो बिक रहे थे। वहीं, परवल 30 रुपये और टमाटर 60 रुपये किलो था। जबकि लोकल टमाटर 20 से 30 रुपये।

उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक पिछले एक महीने में टमाटर का खुदरा औसत भाव 54.74 प्रतिशत उछलकर 26.27 रुपये से 41.11 रुपये पर पहुंच गया है। वहीं प्याज 9.18 फीसद सस्ता हुआ है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक प्याज 26.36 रुपये के औसत भाव से 23.94 रुपये पर आ गया है। शादी समारोहों में आलू की मांग को देखते हुए यह एक महीने में 7.82 फीसद चढ़कर 21.36 रुपये से 23.03 रुपये पर पहुंच गया है। हालांकि अधिकतर खुदरा बाजारों में इसकी कीमत 10 से 20 रुपये प्रति किलो के बीच है।

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