हाल ही में रविवार को टोक्यो पैराओलंपिक 2020 की समाप्ति हुई है। खास बात ये है कि इस बार पैराओलंपिक में भारत ने सभी रिकाॅर्ड तोड़ दिए हैं। दरअसल 53 सालों में पैराओलंपिक में भारत ने अब तक कुल 12 मेडल ही जीते थे। वहीं इस बार के पैराओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने कमाल ही कर दिया। अबकी बार भारत ने पांच गोल्ड सहित कुल 19 मेडल एक साथ अपने नाम किए हैं। इसी बीच काबुल से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आ रही है कि वहां के एक पैरा एथलीट ने जान बचाने के लिए खुफिया रास्ते का इस्तेमाल किया था। इस रास्ते से वो देश के बाहर आ गया। चलिए जानते हैं पूरे वाक्ये के बारे में।
ये दो पैरा एथलीट खुफिया तरीके से पहुंचे टोक्यो
इन दिनों अफगानिस्तान का तालिबानियों के खिलाफ संघर्ष जगजाहिर है। इसी बीच वहां से बहुत से लोग पलायन करना चाहते हैं पर बाॅर्डर सील कर दिए गए हैं। वहीं खबर आ रही है कि काबुल से एक पैराएथलीट खुफिया तरीके से बाहर निकला और टोक्यो पहुंचा। अफगानिस्तान के दो एथलीट बुरी तरह से काबुल में फंसे हुए थे। वे अपनी जान ही बचा चाहते थे और टोक्यो में हिस्सा लेना तो दूर की बात थी। यहाँ तक जापान के वालंटियर ने ओपनिंग सेरेमनी में अफगानिस्ता का झंडा फैराया था।वही टोक्यो पैराओलंपिक समिति ने खुद इस बात की जानकारी दी कि अफगानिस्तान के दो पैराएथलीट जाकिया खुदादादी और हुसैन रसौली काबुल से आकर ओलंपिक का हिस्सा बने।
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पैराओलंपिक में अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व भी किया
खास बात ये है कि दोनों खुफिया तरीके से जान बचाकर काबुल से निकले व टोक्यो पहुंचे। खुदादादी 22 साल के हैं वहीं रसौली 26 साल के हैं। बता दें कि खुदादादी ने ताइक्वांडो में हिस्सा लिया तो रसौली ने हाई जंप में। इन दोनों के टोक्यो में सुरक्षित पहुंचने व अपने देश अफगानिस्तान का झंडा ओलंपिक में लहराने से दुनिया भर में एक खास मैसेज पहुंचा है। दुनिया को कभी किसी भी तरह से नाउम्मीद नहीं होना चाहिए। हौसला रखना चाहिए। वैसे भी जहां चाह वहां राह होती है। अफगानिस्तान फिलहाल तालिबान से छुटकारा पाने के संघर्ष में जुटा हुआ है।
ऋषभ वर्मा