लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर संघ देश के सबसे बड़े प्रदेश यूपी में अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगा। जगह-जगह संघ की ओर से स्वयंसेवकों के बड़े आयोजन किए जाएंगे, ताकि संघ को अपनी वास्तविक ताकत का अंदाजा लग सके। बड़ी खबर: MRP से ज्यादा पर बेचा मिनरल वाटर तो रेस्टोरेंट मालिक को होगी जेल
सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2018 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी ताकत का जमीनी अंदाज इसलिए लेने में जुटा है ताकि 2019 से पहले वह कमजोर कड़ी को दुरुस्त कर सके। केंद्र में भाजपासरकार की वापसी के लिए लोकसभा चुनाव 2014 की तरह 2019 में भी यूपी की अहम भूमिका रहेगी। यही वजह है कि संघ ने मुख्यमंत्री चयन में अपनी राय को तरजीह देते हुए योगी आदित्यनाथ को सूबे का मुखिया बनवाया था।
सूबे के मुख्यमंत्री के रूप में योगी संघ के एजेंडे को आगे बढ़ाते भी दिख रहे हैं। निकाय चुनाव में भाजपा को भारी जीत देकर सूबे की जनता ने योगी के चयन पर मुहर लगा दी है। बावजूद इसके संघ ने अपनी ताकत तौलने की रणनीति बनाई है।
15 फरवरी से बनारस में जमेंगे भागवत
देश के सबसे बड़े प्रदेश में संघ की ताकत तौलने के लिए यूपी प्रवास पर जा रहे संघ प्रमुख मोहन भागवत 15 फरवरी को पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में पहुंचेंगे। यहां विभिन्न स्तर के अधिकारियों की बैठक के बाद वे पीएम के संसदीय क्षेत्र में संघ की ताकत तौलेंगे। सूत्र बताते हैं कि 18 फरवरी को बनारस के संपूर्णानंद विश्वविद्यालय प्रांगण में करीब 21 हजार गणवेशधारी स्वयंसेवकों का जुटान होगा।
यह आयोजन केवल बनारस महानगर के स्वयंसेवकों के लिए ही रहेगा। अभी से इसकी तैयारी शुरू की जा चुकी हैं। 15 फरवरी को बनारस पहुंचकर भागवत कई स्तर पर होने वाले अधिकारियों की बैठक को संबोधित करेंगे। अंतिम दिन वे स्वयंसेवकों के सैलाब वाले आयोजन में शिरकत करेंगे। इसके बाद उनका यूपी के अन्य हिस्सों में जाने का कार्यक्रम है।
बनारस के बाद भावगत यूपी के अन्य हिस्सों में प्रवास करेंगे। फरवरी के अंतिम सप्ताह में वे मेरठ में आयोजित होने वाले संघ के राष्ट्रोदय आयोजन में शिरकत करेंगे। पश्चिमी यूपी में बसपा के उभरते दलित-मुस्लिम गठजोड़ के बीच संघ के इस आयोजन को बेहद अहम माना जा रहा है। 25 फरवरी को करीब 2 लाख स्वयं सेवक एक जगह एकत्रित होकर अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे।
संघ के स्वयंसेवकों का इतना बड़ा आयोजन अब से पहले केवल केरल और महाराष्ट्र में हो सका है। अपनी ताकत का प्रदर्शन कर संघ पश्चिमी यूपी में अपना आधार और मजबूत करना चाहता है, ताकि यहां हर चुनौती से वह निपट सके। संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार बड़े स्तर के ऐसे आयोजनों से संगठन की सक्रियता बढ़ती है, स्वयंसेवकों में उत्साह पैदा होता है और सामान्य लोगों का भी जुड़ाव बढ़ता है।
मार्च में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा
नागपुर में मार्च में होने वाली संघ की सबसे अहम बैठक अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक से पहले भागवत के यूपी प्रवास को लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारियों से जोड़कर देखा जा रहा है। इस बैठक में प्रतिनिधि सभा चुनाव के अलावा संघ प्रमुख के आगामी वर्ष भर के प्रवास कार्यक्रम तय होते हैं। देश की अलग-अलग परिस्थितियों और मुद्दों को ध्यान में रखते हुए संघ अपने आगामी कार्यक्रमों की रूप रेखा तय करता है।
सर्वोच्च न्यायालय में राम मंदिर की त्वरित सुनवाई भी फरवरी से होने वाली है। इसका केंद्र भी यूपी ही रहेगा। इसे ध्यान में रखते हुए संघ इस बार के प्रतिनिधि सभा में अपनी रणनीति तय करेगा। इसे ध्यान में रखते हुए ही भागवत ने प्रतिनिधि सभा की बैठक से पहले यूपी में संघ की ताकत तौलने की रणनीति बनाई है, ताकि कमियों को दूरकर आगामी कार्यक्रम उसी लिहाज से तय किए जा सकें।