एक समय था जब दिल्ली में मानसून का मतलब होता था त्यौहार। मानसून के आते ही जैसे हर कोई सेलिब्रेट करने के मूड में आ जाता था। लोग मौसम का लुत्फ उठाने अपने घरों से बाहर निकल पड़ते थे और हर कोई अपनी पसंदीदा जगह पर परिवार सहित पहुंच जाता था। 80 और 90 के दशक का मानसून दिल्ली में बिल्कुल अलग होता था। उस समय लोग सड़क पर लगे जाम से परेशान नहीं होते थे बल्कि खासकर घरों से बाहर निकलते थे और मानसून एंजॉय करते थे।
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इतिहासकार सोहेल हाशमी, लेखिका मृदुला गर्ग और मशहूर न्यूज एंकर शम्मी नारंग आपके साथ साझा कर रहे हैं उस दौर का मानसून, जब दिल्ली नई दिल्ली से बिल्कुल अलग हुआ करती थी। यहां मानसून का स्वागत आम, मिठाइयों और कबाब से किया जाता था।
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