विश्व की नंबर वन आर्चर दीपिका कुमारी इस वक्त ओलंपिक में मेडल जीतने की तैयारी कर रही हैं। वहीं इस वक्त उनके परिवार की आर्थिक हालत कुछ ठीक नहीं है।
हालांकि एक ओर देश उनसे ओलंपिक में पदक लाने की उम्मीद कर रहा है। दरअसल वो ओलंपिक में तीरंदाजी कैटेगरी में क्वार्टर फाइनल तक पहुंच चुकी हैं। वहीं उनके पिता को घर–परिवार के लिए टेंपो चलाना पड़ रहा है। चलिए जानते हैं बेटी इतने ऊंचे मुकाम पर है तो पिता को टेंपो क्यों चलानी पड़ रही है।
मां–बाप को दीपिका पर है गर्व
रांची के झारखंड के एक छोटे से गांव की रहने वाली दीपिका ने देश को दुनिया का नंबर वन आर्चर बन कर गौरवान्वित किया है। वे ओलंपिक में सिंगलस मुकाबले में उतरी थीं और उन्होंने क्वार्टरफाइनल में जगह भी बना ली है। इस उपलब्धि के लिए दीपिका के माता–पिता उन पर गर्व महसूस करते हैं। इसी बीच उनके पिता अपनी भावुकता रोक नहीं पाए और संघर्ष की कहानी बयां करने लगे।
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इस वजह से आज भी चला रहे हैं टेंपो
दीपिका के पिता शिवनारायण पहले भी टेंपो चलाते थे और अब भी वे वही काम करते हैं। इसी तरह वे अपने परिवार का गुजर बसर करते हैं। उनके पिता ने अपने बयान में भावुक होकर कहा है, ‘कोई भी काम छोटा नहीं होता है। भले ही मेरी बेटी ने देश का नाम रोशन किया हो और कामयाबी के शिखर पर पहुंच गई हो पर टेंपो चलाने के मेरे काम ने मेरा साथ तब भी दिया था। इसलिए मैं अपना पेशा कभी नहीं छोड़ूंगा। खास बात ये है कि मेरे बच्चे मुझे टेंपो चलाने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं।’
दीपिका की मां को है बेटी–दामाद से गोल्ड की उम्मीद
वहीं दीपिका की मां भी बेटी की कामयाबी पर भावुक हो गईं और कहने लगीं, ‘हमें अपनी बेटी व दामाद दोनों बच्चों पर बहुत गर्व है। दोनों ही अपनी–अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहे हैं कि देश के लिए मेडल ला सकें। मुझे अपने दोनों बच्चों से पूरी उम्मीद है कि वे इस बार गोल्ड मेडल लेकर ही लौटेंगे।’
ऋषभ वर्मा
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